ज़िरकपुर/ चंडीगढ़ (शिखर समाचार) ढकोली रोड स्थित ड्रीम्ज़ इन एंड सूट्स में रविवार को कॉस्मिक रिवर ओकल्ट अवार्ड्स का भव्य आयोजन हुआ, जिसमें देशभर से आए दो सौ से अधिक प्रख्यात ज्योतिषाचार्यों, अंकशास्त्रियों और आध्यात्मिक विशेषज्ञों ने भाग लिया। कार्यक्रम में रहस्यवाद, प्राचीन ज्ञान और अध्यात्म की अनोखी आभा देखने को मिली।
वैदिक ज्योतिष और वास्तु के क्षेत्र में नई मिसाल: प्रोफेसर बख्शीश सिंह बावा को कॉस्मिक रिवर ओकल्ट अवार्ड से नवाजा गया
इस मौके पर विश्वप्रसिद्ध वैदिक ज्योतिषाचार्य, लाल किताब और वास्तु विशेषज्ञ प्रोफेसर बख्शीश सिंह बावा को उनके अद्वितीय योगदान के लिए कॉस्मिक रिवर ओकल्ट अवार्ड से सम्मानित किया गया। जब आयोजक जैस्मिन जैज़ ने मंच पर उन्हें सम्मानित किया, तो पूरे सभागार में तालियों की गूंज और श्रद्धा का वातावरण बन गया।
प्रोफेसर बावा ने अपने संबोधन में कहा कि ज्योतिष केवल भविष्यवाणी का विज्ञान नहीं, बल्कि आत्मज्ञान और ऊर्जा के संतुलन का माध्यम है। उन्होंने लोगों को सकारात्मक सोच और ग्रहों के अनुरूप जीवनशैली अपनाने का संदेश दिया।
जैस्मिन जैज़ ने बताया—ओकल्ट साइंसेज़ के विद्वानों के लिए एक शक्तिशाली साझा मंच
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कार्यक्रम की आयोजक और द कॉस्मिक रिवर की संस्थापक जैस्मिन जैज़ ने बताया कि इस आयोजन का उद्देश्य ओकल्ट साइंसेज़ से जुड़े विद्वानों और साधकों को एक साझा मंच देना है, जहाँ वे अपने अनुभवों का आदान-प्रदान कर समाज में आध्यात्मिक चेतना फैला सकें।
समारोह में मुख्य अतिथि डॉक्टर एचएस रावत और मनवेन्द्र रावत (दिल्ली), ध्यान रहस्य (गाज़ियाबाद) उपस्थित रहे। मंच संचालन का दायित्व आशु मल्होत्रा (जालंधर) ने संभाला, जिनके सधे हुए संचालन ने कार्यक्रम को जीवंत बनाए रखा।
प्रमुख हस्तियों की उपस्थिति में संगीत और ध्यान ने दिया आयोजन को दिव्य अनुभव
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इसके अतिरिक्त वीपिन वशिष्ठ (सोनीपत), वीपिन शर्मा (हिमाचल प्रदेश), पूनम शर्मा (चंडीगढ़) और सोनी (दिल्ली) जैसी प्रमुख हस्तियों की उपस्थिति ने आयोजन को और भी प्रभावशाली बना दिया। पूरे कार्यक्रम के दौरान संगीत, ध्यान और आध्यात्मिक संवादों का ऐसा समन्वय देखने को मिला जिसने वातावरण को दिव्यता से भर दिया।
कॉस्मिक रिवर ओकल्ट अवार्ड्स ने यह संदेश दिया कि जब अध्यात्म, ज्ञान और रहस्य विज्ञान एक साथ आते हैं, तो समाज में नई चेतना का संचार होता है। ज़िरकपुर की यह आध्यात्मिक शाम न केवल सम्मान समारोह रही, बल्कि आत्मिक ऊर्जा और सकारात्मकता का उत्सव भी बन गई।
