देश की राजधानी से सटा गऊपुरी विकास से कोसों दूर : , पानी सड़क और सफाई सब में बेहाल

राष्ट्रीय शिखर
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Water, roads and sanitation all are in a bad state

गाजियाबाद (शिखर समाचार)।
दिल्ली से सटे और एनसीआर का हिस्सा होने के बावजूद गाजियाबाद के विजयनगर स्थित गऊपुरी मोहल्ले की हालत आज भी किसी उपेक्षित ग्रामीण इलाके जैसी है। राजधानी से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर बसे इस घनी आबादी वाले क्षेत्र के निवासी जल संकट, जाम, गंदगी और टूटी सड़कों की त्रासदी से जूझ रहे हैं। आधुनिकता की दौड़ में जहां शहर के दूसरे इलाके चमक रहे हैं, वहीं गऊपुरी जैसे मोहल्ले आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं।

गिरता भूजल, गंगाजल पाइपलाइन सिर्फ दिखावा

गऊपुरी में पानी का संकट साल दर साल गहराता जा रहा है। स्थानीय निवासी मनीष गुप्ता बताते हैं कि पहले बोरिंग 160 फीट पर हो जाती थी, लेकिन अब 350 फीट तक खुदाई करनी पड़ती है। गंगाजल योजना के तहत पाइपलाइन तो बिछाई गई, लेकिन आज तक पानी की एक बूंद नहीं आई। दिल्ली से नजदीकी के बावजूद यहां जल संकट इतना गहरा है कि कई परिवार पीने के पानी के लिए निजी टैंकरों पर निर्भर हैं।

गौशाला अंडरपास बना सबसे बड़ी मुसीबत

इस क्षेत्र के बाहर बना गौशाला अंडरपास लोगों के लिए रोज का सिरदर्द बन गया है। बरसात में अंडरपास में जलभराव इतना हो जाता है कि गऊपुरी के कई घरों में गंदा पानी घुस जाता है। विपिन अग्रवाल स्थानीय निवासी का कहना है कि इस साल नाले की सफाई ही नहीं हुई। अगर समय पर सफाई नहीं हुई तो अंडरपास के भरने से घरों तक पानी आ जाएगा।

हर रोज जाम, ई-रिक्शा बना कारण

गऊपुरी के दुकानदार अमित शर्मा बताते हैं कि ई-रिक्शा की संख्या बहुत बढ़ चुकी है। चालक कहीं भी मनमर्जी से गाड़ी रोक देते हैं, जिससे अंडरपास में भारी जाम लग जाता है। जरा-सा सफर तय करने में घंटों लग जाते हैं। धोबीघाट आरओबी और गंगाजल फ्लाईओवर जैसे ढांचागत विकास के बावजूद अंडरपास की स्थिति दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है।

सीवर का पानी रास्तों में, श्रद्धालु भी बेहाल

प्रेमनगर के सीवर का गंदा पानी गौशाला अंडरपास में भर जाता है। यहां से निकलने वाले राहगीरों को इसी गंदे पानी से होकर गुजरना पड़ता है। क्योंकि दूसरी तरफ पैदल जाने का सिर्फ एक मात्र अंडरपास ही रास्ता है श्री दूधेश्वरनाथ मठ मंदिर के लिए दर्शन को आने वाले श्रद्धालु भी इस परेशानी से अछूते नहीं हैं।

सड़कें धंस रही हैं, गलियों में चूहे खोद रहे सुरंग

अनुज गुप्ता स्थानीय निवासी कहते हैं कि रेलवे लाइन के पास की गलियों में चूहों ने अंदर से सड़कें खोखलियों कर दी हैं, जिससे जगह-जगह गड्ढे और धंसाव हो गया है। दुर्घटनाओं का खतरा हर समय बना रहता है।

सड़कों की हालत, नाम की मरम्मत

दीपक कुमार बताते हैं कि गंगाजल लाइन डालने के बाद सड़कों पर टाइल्स लगाकर खानापूर्ति कर दी गई, जबकि आरसीसी की मजबूत सड़कें बननी चाहिए थीं। आज वही टाइलें उखड़ चुकी हैं।

शिकायतें बेमानी, जिम्मेदारों की चुप्पी

स्थानीय लोगों ने बार-बार नगर निगम, जलकल विभाग और जनप्रतिनिधियों से मिलकर समस्याओं की जानकारी दी, लेकिन हर बार आश्वासन ही मिला। गऊपुरी की जनता अब सिस्टम से भरोसा खोने लगी है।
राजधानी दिल्ली से सटे होने के बावजूद गऊपुरी का यह हाल बताता है कि योजनाएं और घोषणाएं तब तक बेमानी हैं जब तक उनका धरातल पर सही क्रियान्वयन न हो। पानी, सड़क, सीवर और ट्रैफिक जैसी बुनियादी समस्याओं में जकड़ा यह इलाका प्रशासन की उदासीनता का प्रतीक बन गया है। गऊपुरी आज भी विकास की उस रेखा को ढूंढ रहा है, जो दिल्ली से बस कुछ कदम दूर है लेकिन हकीकत में मीलों पीछे छूट चुका है।

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