वीरान बलूनी गांव के विनायक ने क्रिकेट से जगाई उम्मीद की लौ, उत्तराखंड अंडर-19 टीम में हुआ चयन

Rashtriya Shikhar
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Vinayak from Viran Baluni Village Sparks a Ray of Hope in Cricket, Selected for the Uttarakhand Under-19 Team IMAGE CREDIT vinayak profile photo

देहरादून (शिखर समाचार) पौड़ी गढ़वाल जिले की पश्चिमी मनियारस्यूं पट्टी में बसे छोटे से बलूनी गांव का नाम अब फिर से चर्चा में है। कभी अपने आपसी सौहार्द, एकता और संस्कृति के लिए जाना जाने वाला यह गांव अब पूरी तरह वीरान हो चुका है, लेकिन इसी वीराने से निकले युवा खिलाड़ी विनायक बलूनी ने उत्तराखंड अंडर-19 क्रिकेट टीम में चयन पाकर गांव के नाम को एक नई पहचान दी है।

क्रिकेट का जुनून: विनायक बलूनी की प्रेरणादायक यात्रा

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देहरादून में रहने वाले विनायक बलूनी बचपन से ही क्रिकेट के प्रति जुनूनी रहे हैं। अपनी मां रीना भट्ट बलूनी के साथ रहकर उन्होंने न सिर्फ पढ़ाई में ध्यान दिया बल्कि खेल में भी अपनी प्रतिभा को निखारा। विनायक की मां खुद एक नेशनल वॉलीबॉल प्लेयर रह चुकी हैं, जबकि उनके पिता मनोज बलूनी दिल्ली में कार्यरत हैं। परिवार के सहयोग और प्रोत्साहन से विनायक ने बहुत कम उम्र में ही क्रिकेट को अपना जीवन बना लिया।

7 सितंबर 2007 को जन्मे विनायक ने 11 वर्ष की आयु में आयुष क्रिकेट एकेडमी, देहरादून से प्रशिक्षण लेना शुरू किया। आर्यन विद्या मंदिर रानी पोखरी में शुरुआती पढ़ाई के बाद उन्होंने धर्मपुर स्थित गोवर्धन सरस्वती विद्या मंदिर से 11वीं और 12वीं की शिक्षा पूरी की। पढ़ाई के साथ-साथ वे लगातार क्रिकेट की साधना में जुटे रहे।

शानदार प्रदर्शन से चमके विनायक, अंडर-19 टीम में बनाई जगह

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लेग स्पिनर और हरफनमौला खिलाड़ी के रूप में विनायक ने हाल ही में सम्पन्न हुए उत्तराखंड इंटर-डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन कर सबका ध्यान अपनी ओर खींचा। उनकी सटीक स्पिन गेंदबाजी और बल्लेबाजी में आत्मविश्वास ने चयनकर्ताओं को प्रभावित किया, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें उत्तराखंड अंडर-19 क्रिकेट टीम में स्थान मिला।

विनायक का कहना है कि यह चयन उनके लिए प्रेरणा का स्रोत है और वे आने वाले मुकाबलों में मेहनत और अनुशासन के साथ बेहतर प्रदर्शन कर राज्य की टीम को गौरवान्वित करना चाहते हैं। उनका सपना है कि एक दिन भारत की राष्ट्रीय टीम के लिए खेलकर अपने गांव और प्रदेश का नाम ऊंचा करें।

पलायन से प्रेरणा तक: विनायक की सफलता बनी बलूनी गांव की नई उम्मीद

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पश्चिमी मनियारस्यूं पट्टी के पीपली गांव के मूल निवासी वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यकार प्रदीप कुमार वेदवाल ने विनायक के चयन को बलूनी गांव के लिए नई उम्मीद बताया। उन्होंने कहा कि पलायन की मार झेल चुके उस गांव के लिए यह खबर किसी नए जीवन की शुरुआत जैसी है। उन्होंने उम्मीद जताई कि विनायक की सफलता आने वाली पीढ़ियों को गांव की मिट्टी से जुड़कर आगे बढ़ने की प्रेरणा देगी।

बलूनी गांव भले ही आज वीरान हो, लेकिन विनायक की उपलब्धि ने यह साबित कर दिया है कि गांव की मिट्टी में अभी भी जीवन और संभावनाओं की खुशबू बाकी है। विनायक का संघर्ष उन सभी युवाओं के लिए एक मिसाल बन गया है जो सीमित संसाधनों के बावजूद बड़े सपने देखने का साहस रखते हैं।

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