हर पंचायत से संसद तक टेक्नोलॉजी से बदलेगा लोकतंत्र का चेहरा, 2026 तक एक मंच पर होंगी सभी विधानसभाएं : लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला

राष्ट्रीय शिखर
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Technology will change democracy: Lok Sabha Speaker Om Birla

धर्मशाला/नई दिल्ली (शिखर समाचार)
भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था को तकनीकी नवाचारों की नई ऊर्जा देने की दिशा में एक बड़ा बयान देते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा है कि संसदीय संस्थानों की कार्यप्रणाली को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसे आधुनिक साधनों से जोड़कर उसे तेज़, पारदर्शी और जनोन्मुखी बनाया जाएगा। धर्मशाला के तपोवन में राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीए) इंडिया रीजन, ज़ोन-2 के वार्षिक सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि संसाधनों के बेहतर प्रबंधन और तकनीकी समावेशन से ही लोकतंत्र को मजबूत आधार दिया जा सकता है।

श्री बिरला ने इस दौरान यह भी एलान किया कि भारत की संसद 2026 तक देश की सभी राज्य विधानसभाओं

श्री बिरला ने इस दौरान यह भी एलान किया कि भारत की संसद 2026 तक देश की सभी राज्य विधानसभाओं को एक साझा डिजिटल मंच पर लाने के लिए गंभीर प्रयास कर रही है। यह मंच ‘वन नेशन, वन लेजिस्लेटिव प्लेटफॉर्म’ की परिकल्पना को साकार करेगा, जहां कानून, बजट और विधायी चर्चाओं से जुड़ी सूचनाएं सभी विधानसभाओं के बीच सहज रूप से साझा की जा सकेंगी। उन्होंने यह भी कहा कि यह मंच राज्य विधानसभाओं के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देगा, जिससे नवाचार और नीतिगत सुधारों में तेजी आएगी।

श्री बिरला ने कहा कि आज जरूरत इस बात की है कि हम संसद से लेकर ग्राम पंचायत तक के जनप्रतिनिधियों को इस नई सोच और तकनीक से जोड़ें। लोकतांत्रिक संस्थाएं सिर्फ नियमों की संरचनाएं नहीं, बल्कि परिवर्तन की धुरी होनी चाहिए। उन्होंने चुने गए जनप्रतिनिधियों को यह जिम्मेदारी सौंपी कि वे अपने कार्यक्षेत्रों को संवाद, नवाचार और सहभागिता के केंद्र में बदलें।

उन्होंने कहा कि AI और डिजिटल प्लेटफॉर्म न केवल विधायी प्रक्रियाओं को सुलभ और पारदर्शी बनाएंगे

उन्होंने कहा कि AI और डिजिटल प्लेटफॉर्म न केवल विधायी प्रक्रियाओं को सुलभ और पारदर्शी बनाएंगे, बल्कि जनता की उम्मीदों को तेज़ी से पूरा करने में भी सहायक होंगे। इस संदर्भ में उन्होंने संसद की हालिया पहल की सराहना करते हुए कहा कि आज संसद AI जैसे नवाचारों को अपनाकर एक नई दिशा की ओर बढ़ रही है और अब इसे राज्यों की विधानसभाओं तक पहुंचाने की बारी है।

लोकसभा अध्यक्ष ने इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश की लोकतांत्रिक परंपराओं को भी याद किया। उन्होंने कहा कि शिमला में 1921 में आयोजित पहला पीठासीन अधिकारियों का सम्मेलन इस दिशा में ऐतिहासिक था। साथ ही उन्होंने हिमाचल विधानसभा की इस उपलब्धि को रेखांकित किया कि यह देश की पहली पेपरलेस विधानसभा बनी। उन्होंने कहा, हिमाचल न केवल प्राकृतिक सुंदरता के लिए, बल्कि लोकतांत्रिक निष्ठा और नवाचार के लिए भी जाना जाता है।

उन्होंने जनप्रतिनिधियों से आह्वान किया कि वे संवाद

श्री बिरला ने डॉ. भीमराव अंबेडकर को उद्धृत करते हुए कहा कि संविधान की सफलता उसमें कार्य करने वालों के आचरण पर निर्भर करती है। उन्होंने जनप्रतिनिधियों से आह्वान किया कि वे संवाद, बहस और तार्किक विमर्श को संस्थानों का आधार बनाएं, जिससे लोकतंत्र की गुणवत्ता और गरिमा दोनों बनी रहे।

सम्मेलन में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया, संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान सहित पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना के पीठासीन अधिकारी और प्रतिनिधि शामिल हुए। सम्मेलन में उपस्थित सभी प्रतिनिधियों ने लोकसभा अध्यक्ष की इस पहल को लोकतंत्र के तकनीकी युग में प्रवेश का नया अध्याय बताया।

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