शारदा विश्वविद्यालय में बौद्धिक संपदा सुविधा केंद्र का शुभारंभ, एमएसएमई के नवाचार को मिलेगा नया आयाम

Rashtriya Shikhar
3 Min Read
Inauguration of Intellectual Property Facilitation Center at Sharda University; MSME innovations to receive a new dimension IMAGE CREDIT TO INSTITUTE

ग्रेटर नोएडा (शिखर समाचार)। शारदा विश्वविद्यालय ने एमएसएमई मंत्रालय की ‘नवीन बौद्धिक संपदा (आईपीआर)’ योजना के तहत शारदा-आईपीएफसी (Intellectual Property Facilitation Centre) की स्थापना कर बौद्धिक संपदा संरक्षण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यह सुविधा केंद्र एमएसएमई सेक्टर से जुड़े उद्यमों, शोधकर्ताओं और नवप्रवर्तकों को पेटेंट, कॉपीराइट, ट्रेडमार्क, डिज़ाइन और भौगोलिक संकेतों जैसी बौद्धिक संपदाओं के पंजीकरण, संरक्षण और व्यावसायिक उपयोग में समग्र सहायता प्रदान करेगा।

नवाचार की नई उड़ान: कुलपति प्रो. सिबाराम खारा ने शारदा-आईपीएफसी की आधिकारिक वेबसाइट का उद्घाटन कर दी शोध और उद्यमिता को नया आयाम

ALSO READ:https://www.amarujala.com/delhi-ncr/ghaziabad/23-illegally-operating-factories-sealed-ghaziabad-news-c-198-1-gbd1023-11093-2025-10-15

कार्यक्रम के दौरान कुलपति प्रो. सिबाराम खारा ने शारदा-आईपीएफसी की आधिकारिक वेबसाइट का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि यह पहल विश्वविद्यालय की नवाचार और अनुसंधान संस्कृति को नई दिशा देगी। उनके अनुसार, यह केंद्र न केवल छात्रों और शिक्षकों को बौद्धिक संपदा की गहराई समझने का अवसर देगा बल्कि उद्यमशीलता की भावना को भी प्रोत्साहित करेगा।

डीन रिसर्च डॉ. भुवनेश कुमार ने बताया कि शारदा-आईपीएफसी स्थानीय और क्षेत्रीय एमएसएमई इकाइयों के लिए एक सेतु की तरह कार्य करेगा। यह उन्हें उनके नवाचारों की सुरक्षा के साथ-साथ उद्योग जगत में प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त दिलाने में मदद करेगा। उन्होंने कहा कि यह केंद्र विश्वविद्यालय में ‘इनोवेशन इकोसिस्टम’ को मजबूत करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।

बौद्धिक संपदा से उद्यमिता तक: डॉ. संजीव कुमार मजूमदार ने बताया आईपीएफसी का तीन स्तंभों वाला सफलता मंत्र

ALSO READ:https://rashtriyashikhar.com/indirapuram-police-arrest-robber-in-encounter/

भारत सरकार के राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम (एनआरडीसी) के वरिष्ठ प्रबंधक डॉ. संजीव कुमार मजूमदार ने कहा कि बौद्धिक संपदा सुविधा केंद्र उद्यमियों के लिए एक उपयोगी मंच बनेगा, जहां उन्हें अपने आविष्कारों और तकनीकी विचारों को सुरक्षित रखने से लेकर उनके व्यावहारिक उपयोग तक की संपूर्ण मार्गदर्शन सेवा मिलेगी। उन्होंने आईपीएफसी की अवधारणा को उद्योग, शिक्षा और अनुसंधान के समन्वय का उत्कृष्ट उदाहरण बताया।

कार्यक्रम में प्रो वाइस चांसलर डॉ. परमानंद, डॉ. अमित सहगल, डॉ. मोहित साहनी, प्रो. अविनाश कुमार, डॉ. मधुकर देशमुख सहित विश्वविद्यालय के कई फैकल्टी सदस्य मौजूद रहे। इस अवसर पर सभी ने सामूहिक रूप से यह विश्वास व्यक्त किया कि शारदा-आईपीएफसी आने वाले वर्षों में राष्ट्रीय स्तर पर बौद्धिक संपदा और नवाचार को नई पहचान देगा।

Share This Article
Leave a comment