गाजियाबाद (शिखर समाचार)
इंदिरापुरम विस्तार योजना की वह भूमि, जो वर्षों तक अवैध कब्जे के साए में दम तोड़ रही थी, अब हरे-भरे भविष्य की सांसें भर रही है। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (GDA) ने एक पेड़ मां के नाम 2.0 अभियान के तहत बुधवार को इस जमीन पर वृहद वृक्षारोपण कार्यक्रम आयोजित कर न सिर्फ पर्यावरण संरक्षण की मिसाल पेश की, बल्कि समाज को भी पर्यावरणीय जिम्मेदारी का बोध कराया।
उनका लालन-पालन भी उतना ही ज़रूरी है जितना एक बच्चे का, तभी यह हरियाली स्थायी हो सकेगी
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इस आयोजन में सदर विधायक(MLA) संजीव शर्मा ने स्वयं पौधरोपण करते हुए कहा कि यदि इस प्रकार के अभियान केवल सरकारी कंधों पर छोड़ दिए जाएं, तो उद्देश्य अधूरा रह जाता है। असल जरूरत इस बात की है कि समाज का हर तबका इसमें अपनी सक्रिय भागीदारी निभाए। उन्होंने कहा कि पेड़ लगाना ही काफी नहीं, उनका लालन-पालन भी उतना ही ज़रूरी है जितना एक बच्चे का, तभी यह हरियाली स्थायी हो सकेगी।
जिलाधिकारी दीपक मीणा ने जनपद में नौ लाख पौधों के रोपण अभियान की जानकारी साझा करते हुए ज़ोर दिया कि केवल संख्या नहीं, संरक्षण ही असली उपलब्धि है। उन्होंने उपस्थित लोगों से आग्रह किया कि हर पौधे को परिवार के सदस्य की तरह गोद लें और उसके बड़े होने तक जिम्मेदारी निभाएं।
प्राधिकरण उपाध्यक्ष अतुल वत्स ने बताया कि प्राधिकरण को 1.5 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य दिया गया
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प्राधिकरण उपाध्यक्ष अतुल वत्स ने बताया कि प्राधिकरण को 1.5 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य दिया गया था, जिसमें से अब तक एक लाख से अधिक पौधे रोपित किए जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि प्राधिकरण अपनी सीमाओं से आगे जाकर इस अभियान को गति देगा। आधुनिकता की दौड़ में हमने जो हरियाली खोई है, उसे लौटाना अब हमारी नैतिक ज़िम्मेदारी है। हर घर, हर गली और हर खाली ज़मीन पर पौधे लगें, यही हमारा संकल्प है।
इस दौरान यह भी जानकारी दी गई कि जिस भूमि पर वृक्षारोपण किया गया, वह हाल ही में अवैध कब्जेदारों झुग्गीवासियों और कबाड़ कारोबारियों से मुक्त कराई गई थी। स्थानीय पार्षदों की शिकायत के बाद प्राधिकरण की संपत्ति शाखा और भू-अर्जन अनुभाग की कार्रवाई से जमीन खाली कराई गई। अब इस पर हरियाली का सुरक्षा कवच चढ़ाया गया है ताकि भविष्य में कोई दोबारा इस पर कब्जा न कर सके।

कार्यक्रम में प्राधिकरण बोर्ड सदस्य पवन गोयल, क्षेत्रीय पार्षद, गणमान्य नागरिक और अधिकारीगण मौजूद रहे। सभी ने न केवल पौधारोपण किया, बल्कि उन्हें संरक्षित करने का व्यक्तिगत संकल्प भी लिया। यह आयोजन न सिर्फ पर्यावरणीय चेतना का उदाहरण बना, बल्कि यह भी सिद्ध किया कि जब प्रशासन और समाज एक साथ कदम बढ़ाते हैं, तो हर बाधा हरियाली में बदल जाती है।