नोएडा में फर्जी डिग्री रैकेट का भंडाफोड़, आलीशान ठाट-बाट में छुपा था धोखे का जाल

राष्ट्रीय शिखर
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Fake degree racket busted in Noida

नोएडा (शिखर समाचार) नोएडा के फेज-1 थाना क्षेत्र में पुलिस ने एक ऐसे संगठित अपराध का पर्दाफाश किया है, जिसने बेरोजगारी और असफलता की मजबूरी को हथियार बनाकर ठगी की एक नई दुनिया खड़ी कर दी थी। पुलिस ने छापेमारी के दौरान दो ऐसे युवकों को गिरफ्तार किया है जो खुद को एजुकेशन कंसल्टेंट की आड़ में पेश कर, लाखों में फर्जी मार्कशीट और डिग्री तैयार करने का कारोबार चला रहे थे। यह गिरोह एक किराए के मकान में बैठकर डिजिटल तकनीक के जरिए फर्जीवाड़े को अंजाम दे रहा था, जहां से 66 नकली मार्कशीट, दो महंगी कारें, एक स्कूटी, हाई-एंड लैपटॉप, मोबाइल फोन और दस्तावेज तैयार करने की मशीनें बरामद की गईं हैं।

फर्जी दस्तावेज तैयार कर बेरोजगारों को सपनों की झूठी राह दिखा रहे थे

गिरफ्तार किए गए आरोपियों के नाम अभिमन्यु गुप्ता और धर्मेंद्र गुप्ता हैं, जो कानपुर नगर के रहने वाले हैं और लंबे समय से नोएडा में फर्जी दस्तावेज तैयार कर बेरोजगारों को सपनों की झूठी राह दिखा रहे थे। आरोपी खासतौर पर उन लोगों को निशाना बनाते थे जो किसी परीक्षा में फेल हो चुके थे या जिनकी उम्र सरकारी नौकरी के लिए निकल चुकी थी। ये लोग उन्हें 10वीं और 12वीं की नकली मार्कशीट 80 हजार रुपये में और ग्रेजुएशन की फर्जी डिग्री 2 लाख रुपये में मुहैया कराते थे। ग्राहकों की मांग के अनुसार मार्कशीट में नंबर भी बढ़ा दिए जाते थे, जिससे दस्तावेज पूरी तरह से असली जैसे दिखें।

फर्जीवाड़े से हुई कमाई से दोनों ने दो लग्जरी कारें भी खरीदी थीं

पुलिस पूछताछ में यह भी खुलासा हुआ है कि आरोपी अपनी पहचान छुपाने और ट्रैकिंग से बचने के लिए 9 अलग-अलग मोबाइल सिम का इस्तेमाल करते थे और ठगी से कमाए गए पैसों से 8 बैंकों में खाते खोल रखे थे। इन खातों के जरिए लेन-देन किया जाता था ताकि किसी एक खाते पर शक न हो। फर्जीवाड़े से हुई कमाई से दोनों ने दो लग्जरी कारें भी खरीदी थीं, जिन्हें दिखाकर वे खुद को एक सफल कारोबारी बताते थे।

नोएडा पुलिस की सतर्कता और सूचना तंत्र की सक्रियता के चलते इस गिरोह का जाल अब उजागर हो चुका है। पुलिस अधिकारियों के अनुसार, यह केवल दो व्यक्तियों की करतूत नहीं, बल्कि एक बड़े रैकेट का हिस्सा है, जिसकी जड़ें अन्य राज्यों तक फैली हो सकती हैं। फिलहाल दोनों आरोपियों को जेल भेज दिया गया है और पूरे नेटवर्क की कड़ियाँ जोड़कर आगे की जांच जारी है। इस खुलासे ने फर्जीवाड़े के उस साए को बेनकाब कर दिया है, जो दिखने में चमकदार था, लेकिन अंदर से पूरी तरह खोखला और धोखे से भरा हुआ।

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