ग्रेटर नोएडा (शिखर समाचार) भाषाई रचनात्मकता और व्याकरण-आधारित अवधारणा गीतों की अनूठी शैली के लिए देश-विदेश में अपनी अलग पहचान बना चुके दिल्ली पब्लिक स्कूल ग्रेटर नोएडा के हिंदी विभागाध्यक्ष तथा एनसीईआरटी की सारंगी पाठ्यपुस्तक समिति के सदस्य डॉ. विनोद सिंह चौहान प्रसून को महाराष्ट्र राज्य पाठ्यपुस्तक निर्माण एवं पाठ्यक्रम संशोधन मंडल, बालभारती पुणे द्वारा आयोजित राष्ट्रीय शिक्षा नीति से संबद्ध पाठ्यपुस्तक लेखन उद्बोधन सत्र-2025 में भाषा विशेषज्ञ के रूप में आमंत्रित किया गया।
नवाचार से जुड़ा राष्ट्रीय दायित्व: डॉ. प्रसून ने पाठ्यपुस्तक निर्माण को बताया युगानुकूल मिशन
यह प्रतिष्ठित आयोजन देशभर के शिक्षाविदों, भाषाविदों और विश्वविद्यालयों के प्राध्यापकों की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ, जिसमें एनसीईआरटी व एससीईआरटी के वरिष्ठ सदस्य भी शामिल रहे। समापन दिवस पर डॉ. प्रसून ने युगानुकूल नवाचारी पुस्तक निर्माण विषय पर अपने विचार रखे। उनका व्याख्यान न केवल श्रोताओं को बांधकर रखता रहा बल्कि संवाद के दौरान मिली सक्रिय सहभागिता ने सत्र को और अधिक प्रभावशाली बना दिया।
डॉ. प्रसून ने अपने उद्बोधन में कहा कि पाठ्यपुस्तक लेखन महज़ एक तकनीकी प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह जिम्मेदारी से जुड़ा हुआ राष्ट्रीय कार्य है। नई शिक्षा नीति की आत्मा को ध्यान में रखते हुए ऐसी सामग्री तैयार की जानी चाहिए, जो विद्यार्थियों को सहज, रोचक और आनंदपूर्ण तरीके से ज्ञान की ओर अग्रसर करे। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि नवाचार और मौलिक प्रयोग ही आने वाले समय की पुस्तकों को जीवंत और प्रासंगिक बनाएंगे।
सृजनात्मक गीतों से सजी प्रस्तुति: डॉ. प्रसून के विचारों ने बटोरी विद्वानों की सराहना
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कार्यक्रम में उपस्थित विद्वानों ने उनके मौलिक अवधारणा गीतों और भाषाई सूत्रों की विशेष सराहना की। इन गीतों को छात्रों के लिए सरलता और मनोरंजन के साथ सीखने का नया माध्यम बताया गया।
सत्र के अंत में डॉ. प्रसून ने निदेशक डॉ. अनुराधा ओक सहित बालभारती परिवार के सभी सदस्यों, डॉ. अलका पोतदार, डॉ. केतकी तथा रवींद्र माने के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट की और इसे अपने लिए एक अविस्मरणीय अनुभव बताया।