ग्रेटर नोएडा (शिखर समाचार)। भारत सरकार के फार्मास्युटिकल्स विभाग के सचिव अमित अग्रवाल और संयुक्त सचिव अमन शर्मा ने गुरुवार को यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यीडा) के सेक्टर-28 स्थित मेडिकल डिवाइसेज पार्क का दौरा किया। इस दौरान मुख्य कार्यपालक अधिकारी राकेश कुमार सिंह ने पार्क में चल रहे विभिन्न निर्माण कार्यों और सुविधाओं की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भारत सरकार के सहयोग से विकसित हो रहे इस 350 एकड़ के मेडिकल डिवाइसेज पार्क में अब तक 101 भूखंडों का आवंटन किया जा चुका है।
मेडिकल डिवाइसेज पार्क: 2026 तक पूरी होंगी योजनाएँ, गुणवत्ता पर जोर
विशेष कार्याधिकारी शैलेंद्र भाटिया ने मेडिकल डिवाइसेज पार्क की योजनाओं पर प्रस्तुतीकरण देते हुए बताया कि कॉमन साइंटिफिक फैसिलिटी (सीएसएफ) के तहत विकसित की जा रही इकाइयों का निर्माण दिसंबर 2026 तक पूरा कर लिया जाएगा, जबकि गामा रेडिएशन सेंटर का कार्य मई 2027 तक पूरा होगा। सचिव अमित अग्रवाल ने प्राधिकरण और कंसल्टेंट्स को निर्देश दिए कि सभी परियोजनाओं को निर्धारित समय से पहले गुणवत्तापूर्ण तरीके से पूर्ण कराया जाए और निर्माण कार्य अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हो।
उन्होंने सुझाव दिया कि मेडिकल डिवाइसेज पार्क को मेडिकल और तकनीकी शिक्षा से भी जोड़ा जाए ताकि रिसर्च, टेस्टिंग और इनोवेशन के क्षेत्र में इसे एक मजबूत पहचान मिले। उन्होंने कहा कि आईआईटी कानपुर जैसी प्रतिष्ठित संस्थाओं के विशेषज्ञों को इस प्रोजेक्ट से जोड़कर एक बेहतर ईको सिस्टम तैयार किया जा सकता है, जिससे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और नई तकनीकों का उपयोग स्वास्थ्य उपकरणों के विकास में प्रभावी रूप से हो सके।
सचिव और संयुक्त सचिव का निरीक्षण: निर्माण कार्य की प्रगति का लिया जायजा
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समीक्षा बैठक के बाद सचिव और संयुक्त सचिव ने कॉमन साइंटिफिक फैसिलिटीज की साइट का भी निरीक्षण किया। उन्होंने निर्माणाधीन बिल्डिंग्स की प्रगति का आकलन किया और现场 पर मौजूद इंजीनियरों से कार्य की स्थिति के बारे में जानकारी ली। इस अवसर पर प्रवीण मित्तल, एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर एमडीपी प्रमोशन काउंसिल, राजेन्द्र भाटी, जीएम परियोजना, स्मिता सिंह, एजीएम सहित कई कंपनियों के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया।
केंद्र सरकार के अधिकारियों ने मेडिकल डिवाइसेज पार्क को देश के उभरते स्वास्थ्य उपकरण उद्योग के लिए एक मील का पत्थर बताते हुए कहा कि इसके माध्यम से भारत ‘मेड इन इंडिया’ मेडिकल उपकरणों के क्षेत्र में वैश्विक पहचान हासिल करेगा।
