नई दिल्ली (शिखर समाचार)। भारतीय सेना में तकनीकी दक्षता और नवाचार का प्रतीक मानी जाने वाली इलेक्ट्रॉनिक्स एंड मैकेनिकल इंजीनियर्स (ईएमई) को नया नेतृत्व मिल गया है। लेफ्टिनेंट जनरल राजीव कुमार साहनी ने ईएमई के महानिदेशक और कोर ऑफ ईएमई के कर्नल कमांडेंट का दायित्व औपचारिक रूप से ग्रहण कर लिया। इस अवसर पर उन्होंने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक जाकर अमर जवानों की स्मृति को नमन किया और पुष्पचक्र अर्पित कर उन वीर बलिदानियों को याद किया, जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया।
लेफ्टिनेंट जनरल साहनी का ईएमई को नई दिशा देने का संकल्प: तकनीकी सशक्तिकरण और नवाचार की ओर कदम बढ़ाते हुए
पदभार संभालने के बाद लेफ्टिनेंट जनरल साहनी ने ईएमई को नई दिशा देने का संदेश दिया। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि आने वाले समय में कोर को परिणाम आधारित नवाचारों और तकनीकी सशक्तिकरण के रास्ते पर और तेज़ी से बढ़ना होगा। उन्होंने बल देकर कहा कि सेना की परिचालन क्षमता को हर हाल में उच्चतम स्तर पर बनाए रखना ईएमई की प्राथमिक जिम्मेदारी है और इसके लिए आधुनिक उपकरणों, स्वदेशी तकनीक और रचनात्मक सोच को बढ़ावा देना अनिवार्य है।
उन्होंने ईएमई के अधिकारियों और जवानों से संवाद करते हुए यह भी कहा कि बदलते वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य में भारतीय सेना को हर मोर्चे पर तैयार रहना होगा। इस तैयारी में ईएमई की भूमिका निर्णायक है, क्योंकि यही कोर हथियारों, मशीनों और तकनीकी संसाधनों के रखरखाव से लेकर नए प्रयोगों तक हर क्षेत्र में अग्रणी योगदान देती है।
ईएमई कोर: आत्मनिर्भरता और स्वदेशी तकनीक की दिशा में नई ऊँचाइयाँ छूने का संकल्प
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ईएमई कोर लंबे समय से भारतीय सेना की रीढ़ मानी जाती है। अत्याधुनिक टैंकों, बख्तरबंद गाड़ियों और तकनीकी उपकरणों की कार्यक्षमता सुनिश्चित करना इसी कोर का दायित्व है। नई चुनौतियों और युद्ध के बदलते स्वरूप को देखते हुए अब इस कोर से और अधिक तेज़, प्रभावी और अभिनव प्रयासों की अपेक्षा की जा रही है। लेफ्टिनेंट जनरल साहनी के नेतृत्व में सेना को उम्मीद है कि ईएमई आने वाले वर्षों में स्वदेशी तकनीक और आत्मनिर्भरता की दिशा में नए कीर्तिमान स्थापित करेगा।
सेना मुख्यालय के सूत्रों के मुताबिक, नए महानिदेशक का दृष्टिकोण स्पष्ट है ईएमई को केवल समर्थन करने वाली शाखा के रूप में नहीं, बल्कि तकनीकी विकास और युद्धक्षमता बढ़ाने वाले प्रमुख स्तंभ के रूप में स्थापित करना। उनकी रणनीति है कि अनुसंधान, डिज़ाइन और तकनीकी सुधारों पर विशेष जोर दिया जाए, ताकि किसी भी स्थिति में भारतीय सेना पूरी तरह आत्मनिर्भर और तत्पर रह सके।

राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर हुए पुष्पांजलि कार्यक्रम के बाद लेफ्टिनेंट जनरल साहनी का संदेश साफ था शहीदों की विरासत को आगे बढ़ाना और उनकी प्रेरणा से सेना की तैयारी को सर्वोच्च स्तर पर रखना ही सच्ची श्रद्धांजलि है।