हापुड़/गढ़मुक्तेश्वर (शिखर समाचार)। तीर्थनगरी ब्रजघाट में शुक्रवार का दिन एक बड़ी दुर्घटना का गवाह बनते-बनते रह गया। हरियाणा के झज्जर जिले से आए पांच श्रद्धालुओं को लेकर जा रही नाव गंगा के तेज बहाव में अनियंत्रित होकर पुल के पिलर से टकराई और अचानक पलट गई। देखते ही देखते श्रद्धालु लहरों में बहने लगे, जिससे मौके पर अफरातफरी मच गई। मगर गंगा किनारे मौजूद गोताखोरों और नाविकों ने बिना देर किए नदी में छलांग लगाई और अथक प्रयास कर सभी श्रद्धालुओं की जान बचा ली।
गंगा में पलटी नाव: गोताखोरों की बहादुरी ने बचाई कई जिंदगियां!
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार गंगा में नाव पलटते ही श्रद्धालुओं की चीख-पुकार गूंज उठी। वहां मौजूद गोताखोरों ने बिना अपनी जान की परवाह किए गहरे पानी में उतरकर एक-एक कर सभी को सुरक्षित निकाल लिया। नाव पलटने के बाद गंगा का तेज बहाव किसी भी क्षण स्थिति को भयावह बना सकता था, लेकिन गोताखोरों के साहस ने बड़ा हादसा होने से रोक दिया।
घटना की सूचना मिलते ही गढ़ कोतवाली प्रभारी नीरज कुमार पुलिस बल के साथ घटनास्थल पर पहुंचे। उन्होंने संकट की घड़ी में बहादुरी दिखाने वाले गोताखोरों को फूलमालाएं पहनाकर और मिठाई खिलाकर सम्मानित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि इन वीर गोताखोरों की तत्परता ने आज पांच परिवारों को अपार दुख से बचा लिया है। उन्होंने इसे मानवीय साहस का जीवंत उदाहरण बताया।
गंगा में प्रतिबंधित नाव संचालन: लापरवाही के कारण हुई घटना, कार्रवाई की तैयारी
ALSO MORE:https://rashtriyashikhar.com/sexual-harassment-act-2013internal-committee/
पुलिस प्रशासन ने इस घटना के बाद स्पष्ट किया कि गंगा में लगातार बढ़ते जलस्तर और तेज धार के चलते नावों का संचालन पहले से ही प्रतिबंधित है। बावजूद इसके श्रद्धालुओं को लेकर नदी में उतारी गई नाव को गंभीर लापरवाही माना गया है। अधिकारियों ने बताया कि नाविक की जिम्मेदारी तय की जा रही है और उसके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।
स्थानीय लोग मानते हैं कि गंगा स्नान के मौसम में श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ने के कारण इस तरह की घटनाओं की आशंका बनी रहती है। प्रशासन लगातार चेतावनी और रोक के बावजूद कुछ नाविक निजी लाभ के लिए श्रद्धालुओं को जोखिम में डाल देते हैं। वहीं, श्रद्धालुओं से भी अपील की जा रही है कि वे प्रशासनिक निर्देशों का पालन करें और किसी भी तरह का जोखिम न उठाएं। ब्रजघाट में हुए इस घटनाक्रम ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि समय पर साहसिक कदम और आपसी सहयोग किसी भी बड़े हादसे को टाल सकते हैं। गंगा की लहरों में डूबते श्रद्धालुओं को देखकर जिस तेजी से गोताखोरों और नाविकों ने कदम उठाए, वह न केवल सराहनीय है बल्कि समाज के लिए प्रेरणा भी है।