पिलखुवा (शिखर समाचार)।
हरियाली तीज के पारंपरिक उल्लास और आधुनिक सांस्कृतिक अभिव्यक्ति को एक साथ लेकर अंतरराष्ट्रीय वैश्य महासम्मेलन (महिला इकाई) ने स्थानीय होटल सफायर ब्लू में तीज महोत्सव का भव्य आयोजन किया। इस आयोजन में नगर की बड़ी संख्या में महिलाओं ने उत्साह और उमंग के साथ भाग लिया, जिससे आयोजन एक जीवंत उत्सव में बदल गया।
नृत्य प्रतियोगिता और तीज क्वीन के साथ महिलाओं ने दिखाया सांस्कृतिक और सशक्तिकरण का जज्बा
कार्यक्रम की शुरुआत मंगल गीतों और पारंपरिक स्वागत के साथ हुई, जिसके बाद नृत्य प्रतियोगिता, हरियाली तीज गेम, मेहंदी प्रतियोगिता और तीज क्वीन जैसे आकर्षक आयोजनों की श्रृंखला शुरू हुई। पारंपरिक परिधानों में सजी महिलाओं ने अपनी प्रस्तुति से जहां संस्कृति का जीवंत रूप प्रस्तुत किया, वहीं आधुनिक आयोजनों की झलक भी दिखाई। महिलाओं ने समूह नृत्य, एकल प्रस्तुतियों और रोचक खेलों में बढ़-चढ़कर भाग लिया। पारंपरिक पर्व के साथ नारी सशक्तिकरण और सांस्कृतिक चेतना का संगम
इस अवसर पर मुख्य अतिथि क्षेत्राधिकारी अनीता चौहान ने अपने उद्बोधन में कहा कि ऐसे सांस्कृतिक आयोजनों से महिलाओं को आत्मविश्वास, मंच और सामाजिक पहचान मिलती है। तीज जैसे पर्व हमारी परंपराओं को नई पीढ़ी से जोड़ने का अवसर प्रदान करते हैं। आज की नारी हर क्षेत्र में अग्रसर है और ऐसे आयोजन उनके भीतर छिपी कला, संस्कृति और नेतृत्व क्षमता को सामने लाने में मदद करते हैं।
महिला इकाई की सक्रियता से सफल हुआ महोत्सव, सांस्कृतिक चेतना और सशक्तिकरण की नई मिसाल
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कार्यक्रम को सफल बनाने में महिला इकाई की टीम का महत्वपूर्ण योगदान रहा। संरक्षिका नीरा कंसल, अध्यक्ष रानी बंसल, सचिव मीनाक्षी गोयल, कोषाध्यक्ष ज्योति गोयल की सक्रिय भूमिका के साथ-साथ नेहा, श्रुति, आशा गुप्ता, शगुन, स्वाति, मीता, वर्षा, पखुड़ी और आभा जैसी समर्पित सदस्याएं आयोजन की व्यवस्था में लगी रहीं। कार्यक्रम के अंत में विजेताओं को सम्मानित किया गया और सभी प्रतिभागियों को स्मृति चिह्न भेंट किए गए। माहौल में संगीत, हंसी, उत्साह और उत्सव की रौनक देर शाम तक बनी रही। आयोजकों की ओर से यह भी घोषणा की गई कि भविष्य में ऐसे सांस्कृतिक कार्यक्रमों की संख्या और दायरा बढ़ाया जाएगा ताकि अधिक से अधिक महिलाएं मंच पर आकर अपनी प्रतिभा दिखा सकें।
यह महोत्सव न केवल तीज के पर्व को जीवंत करने वाला रहा, बल्कि सामाजिक समरसता, महिला सशक्तिकरण और सांस्कृतिक चेतना का भी प्रेरक उदाहरण बना।