ग्रेटर नोएडा (शिखर समाचार)।
फोर्टिस हॉस्पिटल ग्रेटर नोएडा के विशेषज्ञ डॉक्टरों ने असाधारण चिकित्सीय सफलता हासिल करते हुए एक ऐसे मरीज की रीढ़ की हड्डी से दुर्लभ और विशाल ट्यूमर को हटाया, जो उसकी ज़िंदगी को पूरी तरह जकड़ चुका था। 44 वर्षीय सुबोध कुमार की रीढ़ में स्थित यह ट्यूमर धीरे-धीरे इतना बढ़ गया था कि वह न केवल चलने-फिरने में असमर्थ हो गए, बल्कि शौच, पेशाब और भोजन जैसी बुनियादी जरूरतों के लिए भी पूरी तरह दूसरों पर निर्भर हो गए थे।
रीढ़ में फैले विशाल ट्यूमर का सफल ऑपरेशन, मरीज को मिली नई जिंदगी
करीब दो महीने तक पैरालिसिस की हालत में रहने के बाद जब हर उम्मीद टूटती नजर आ रही थी, तब फोर्टिस की मेडिकल टीम ने इस गंभीर चुनौती को स्वीकार किया। जांच में सामने आया कि उनकी रीढ़ में एक मायक्सॉइड मूल का बड़ा ट्यूमर फैला हुआ था, जो पीठ के ऊपरी हिस्से से होते हुए छाती के अंदर तक पहुंच चुका था और स्पाइनल कॉर्ड से बुरी तरह चिपका हुआ था।
इस जटिल ऑपरेशन की अगुवाई डॉ. हिमांशु त्यागी निदेशक एवं प्रमुख, ऑर्थोपेडिक्स और स्पाइन सर्जरी ने की, जिनके साथ डॉ. राजेश मिश्रा और डॉ. मोहित शर्मा की टीम मौजूद रही। चार घंटे चले इस ऑपरेशन में सूक्ष्मतम स्तर पर सर्जरी के लिए माइक्रोस्कोपिक तकनीक, ऑपरेशन के दौरान तंत्रिका निगरानी (न्यूरोमॉनिटरिंग) और इमेज गाइडेंस जैसी आधुनिकतम तकनीकों का उपयोग किया गया।
रीढ़ की नसों से सटे दुर्लभ ट्यूमर का सफल ऑपरेशन
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डॉ. हिमांशु त्यागी ने बताया कि ट्यूमर एक अत्यधिक संवेदनशील क्षेत्र में था और रीढ़ की नसों से सटा हुआ था, जहां एक छोटी सी चूक भी मरीज को स्थायी अपंगता की ओर धकेल सकती थी। लेकिन हमारी टीम ने पूरे धैर्य और तकनीकी सटीकता के साथ इस चुनौती को पार किया और ट्यूमर को पूरी तरह हटाने में सफलता पाई।
ऑपरेशन के बाद लगातार फिजियोथेरेपी और निगरानी के जरिये अब मरीज पूरी तरह सामान्य जीवन की ओर लौट चुका है। आज सुबोध कुमार बिना किसी सहारे के चल सकते हैं, सीढ़ियां चढ़ सकते हैं और दैनिक जीवन के सारे कार्य खुद कर पा रहे हैं।
मरीज सुबोध कुमार दोबारा चलने-फिरने में सक्षम
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सुबोध कुमार भावुक होकर बताते हैं कि मैंने तो मान लिया था कि जीवन अब समाप्त हो गया है। लेकिन फोर्टिस हॉस्पिटल और डॉक्टर्स की टीम ने मुझे दोबारा पैरों पर खड़ा कर दिया। अब न व्हीलचेयर है, न दर्द मैं आजाद हूं और फिर से जी रहा हूं।
विशेषज्ञों के मुताबिक ऐसे ट्यूमर के कारण अब भी शोध का विषय हैं। ये ट्यूमर अत्यंत दुर्लभ होते हैं और अधिकतर मामलों में इनका कारण स्पष्ट नहीं होता। कुछ मामलों में अनुवांशिक बदलाव, पूर्व की रेडिएशन थेरेपी या कोशिकीय असंतुलन के कारण यह स्थिति उत्पन्न हो सकती है। यह सर्जरी न केवल तकनीकी दक्षता का उदाहरण है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि सटीक निदान, आधुनिक तकनीक और कुशल डॉक्टरों की टीम अगर साथ हो तो गंभीर से गंभीर स्थितियों में भी उम्मीद की एक नई किरण दिखाई दे सकती है।