परमात्मा को जाने बिना नहीं जागता सच्चा विश्वास : साध्वी पद्महस्ता भारती

Rashtriya Shikhar
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True faith does not awaken without knowing the Supreme Being: Sadhvi Padmahasta Bharti IMAGE CREDIT TO दिव्य ज्योति जागृती संस्थान

मुरादनगर (शिखर समाचार)। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के तत्वाधान में के.एन. इंटर कॉलेज मैदान पर जारी श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन कथा व्यास साध्वी पद्महस्ता भारती ने भक्त प्रह्लाद की अमिट भक्ति को वैज्ञानिक दृष्टि, सरल भाषा और समकालीन समाज के संदर्भ में भावपूर्ण तरीके से उपस्थित जनसमूह के सामने रखा।

प्रह्लाद की अडिग भक्ति: संकटों और विपत्तियों में भी न झुकी ईश्वर-निष्ठा

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साध्वी पद्महस्ता भारती ने कहा कि भक्त प्रह्लाद ने भक्ति के मार्ग में आए कठिन से कठिन संकटों को भी अडिग मन से स्वीकार किया। हिरण्यकश्यप ने उन्हें रोकने के लिए यातनाओं की पराकाष्ठा कर दी प्रलोभन दिए, धमकियाँ दीं, बाधाएँ खड़ी कीं, यहाँ तक कि बहन की सहायता से अग्नि में जलाने का प्रयास भी किया। फिर भी प्रह्लाद का धैर्य, विश्वास और ईश्वर-निष्ठा तनिक भी नहीं डिगी।

उन्होंने कहा कि जब मन में ईश्वर का चिंतन होता है तो जीवन की चिंताएँ स्वतः दूर होने लगती हैं। श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान कृष्ण स्पष्ट कहते हैं कि जो भक्त एकनिष्ठ भाव से भक्ति करता है, उसके योग क्षेम की जिम्मेदारी स्वयं भगवान उठाते हैं। लेकिन यह अनन्य कृपा उन्हें ही मिलती है, जो ईश्वर को जानने, समझने और शरणागति स्वीकार करने की वास्तविक भावना रखते हैं। आज अधिकांश लोग ईश्वर को पुकारते तो हैं, परंतु उन्हें जाना नहीं, देखा नहीं और न ही उनके समर्पण का भाव जगाया। इसीलिए वे दिव्य कृपा के अधिकारी नहीं बन पाते।

गर्भ में ही मिला साक्षात्कार: प्रह्लाद की अटूट भक्ति और ईश्वर-ज्ञान का संदेश

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कथा व्यास ने बताया कि प्रह्लाद को परमात्मा का साक्षात्कार गर्भावस्था में ही नारद की कृपा से हुआ था। इसी अंतर्दृष्टि ने उनके भीतर अटूट विश्वास और असीम प्रेम उत्पन्न किया। उनके इस विश्वास की रक्षा के लिए स्वयं श्रीहरि को बार-बार हस्तक्षेप करना पड़ा और अंततः नरसिंह रूप में अवतार धारण कर भक्त की रक्षा करनी पड़ी। हमारे ग्रंथ भी कहते हैं कि परमात्मा को जाने बिना उनके प्रति सच्चा विश्वास कभी संभव नहीं। इसलिए आवश्यक है कि तत्वदर्शी महापुरुषों की शरण लेकर ईश्वर के स्वरूप का सही ज्ञान प्राप्त किया जाए और उनके बताए मार्ग पर चलकर जीवन को सार्थक बनाया जाए।

कार्यक्रम के समापन अवसर पर संस्थान के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी आदित्यानंद ने कहा कि प्राथमिकताएँ भगवान के घर निभाई जानी चाहिए, जबकि औपचारिकताएँ संसार के लिए हैं पर आज स्थिति उलट है। लोग संसार को प्राथमिकता दे रहे हैं और भगवान के प्रति केवल औपचारिकता निभा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अहंकार से मुक्त हुए बिना ईश्वर प्राप्ति का मार्ग नहीं खुलता और यह संभव है सत्संग, सत्य को धारण करने और कथा-श्रवण जैसी साधनाओं से।

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भजन कीर्तन की मधुर धुनों ने वातावरण को भक्तिमय बना दिया और उपस्थित श्रद्धालु भाव-विभोर होते रहे।

कथा स्थल पर साध्वी श्वेता भारती, वसुधा भारती, ज्योति भारती, हेमा भारती, वंदना भारती सहित बड़ी संख्या में साध्वीगण, समिति सदस्य और नगर के गणमान्यजन राकेश मोहन गोयल, रामकिशन बंधु, राम अग्रवाल, योगेंद्र गुप्ता, संजीव त्यागी, मनोज गुप्ता, सुखबीर त्यागी, विजय बंसल, हरिकिशन गर्ग, पूर्व पालिका अध्यक्ष विकास तेवतिया, सभासद नितिन कुमार, संजय सिंघल, मोहित गर्ग, संगीता गर्ग, हार्दिक चौधरी, सुषमा चौधरी, बुद्धप्रकाश गोयल, राजेश सिंघल, दीपक सिंघल आदि उपस्थित रहे।

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