MCU के अभ्युदय का समापन, सिनेमा और मीडिया के विविध आयामों पर हुआ मंथन

Rashtriya Shikhar
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The rise and conclusion of the MCU sparked a churning of ideas across various dimensions of cinema and media IMAGE CREDIT TO Makhanlal Chaturvedi University

भोपाल 22 अगस्त 2025 (शिखर समाचार) माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय का वार्षिक सत्रारंभ कार्यक्रम ‘अभ्युदय’ गुरुवार को विचारोत्तेजक सत्रों और अनुभवी वक्ताओं की मार्गदर्शक सीख के साथ संपन्न हुआ। तीन दिनों तक चले इस आयोजन में फिल्म लेखन, पत्रकारिता, डिजिटल मीडिया, तकनीक और न्याय व्यवस्था जैसे कई विषयों पर गहन विमर्श हुआ, जिसने विद्यार्थियों को नए दृष्टिकोण और व्यावहारिक समझ प्रदान की।

लेखन वही जो सोच जगाए: विपुल के. रावल ने कहानियों को समाज की धड़कन से जोड़ने पर दिया जोर

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कार्यक्रम के दौरान फिल्म ‘रुस्तम’ और ‘इकबाल’ के चर्चित पटकथा लेखक विपुल के. रावल ने कहा कि लेखक को ऐसी कहानियां गढ़नी चाहिए जो केवल मनोरंजन का साधन न बनें बल्कि दर्शकों के भीतर सोचने की शक्ति भी पैदा करें। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कहानियों की जड़ें हमेशा समाज की धड़कनों से जुड़ी होनी चाहिए और तकनीक के बदलते स्वरूप के साथ लेखन को भी कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ाना होगा।

वरिष्ठ पत्रकार अनंत विजय ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय सिनेमा की अधिकांश कहानियों की प्रेरणा रामकथा से मिलती है, क्योंकि यह कथा भारतीय मानस में गहराई से बसी है। उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि आजकल फिल्म समीक्षाएं केवल सतही व्याख्या तक सीमित हो रही हैं। उनके अनुसार, बेहतरीन समीक्षा के लिए कहानी की गहराई में उतरना और लोक जीवन की विराट जानकारी होना आवश्यक है।

डिजिटल दौर में प्रतिस्पर्धा तेज, मौलिकता ही बनेगी पहचान: डॉ. बृजेश कुमार सिंह

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नेटवर्क 18 के वरिष्ठ संपादक डॉ. बृजेश कुमार सिंह ने मीडिया के बदलते परिदृश्य पर चर्चा करते हुए कहा कि डिजिटल युग ने समाचारों की दुनिया में तीव्र प्रतिस्पर्धा पैदा कर दी है। उन्होंने छात्रों को समझाया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से घबराने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि यह नए अवसरों का द्वार खोल रहा है। उन्होंने कहा कि भविष्य में मौलिक सामग्री (ऑरिजिनल कंटेंट) की मांग और अधिक बढ़ेगी।

वरिष्ठ पत्रकार बालकृष्ण ने कहा कि आज मीडिया के सामने सबसे बड़ी चुनौती फेक न्यूज और भ्रामक सूचनाओं की है। उन्होंने फैक्ट चेकिंग और विजुअल इन्वेस्टिगेशन की अहमियत समझाते हुए विद्यार्थियों से तकनीक को सीखने और अपनाने का आग्रह किया। वहीं एनडीटीवी की एंकर अदिति राजपूत ने कहा कि मीडिया समाज में बदलाव का सबसे ताकतवर औजार है, लेकिन इसके साथ उत्तरदायित्व भी उतना ही बड़ा है।

प्रिंट से ड्रोन तक मीडिया का सफर, कानून की समझ भी ज़रूरी: विशेषज्ञों ने खोले नए आयाम

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तकनीकी सत्र में ड्रोन विशेषज्ञ चिराग जैन ने कहा कि मीडिया का सफर प्रिंट से लेकर हाई-टेक कैमरा और ड्रोन तक पहुंच चुका है। आने वाले वर्षों में इस क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। अधिवक्ता शिखा छिब्बर ने भारतीय न्याय संहिता के नए प्रावधानों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मीडिया विद्यार्थियों के लिए कानून की जानकारी बेहद जरूरी है।

विश्वविद्यालय की पूर्व छात्रा एवं कालिंदी कॉलेज, दिल्ली की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. निधि अरोड़ा और फिल्मकार सरिता चौरसिया ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि मेहनत और समर्पण के साथ आगे बढ़ने पर सफलता अवश्य मिलती है।

सच को निर्भीकता से कहें और भारत को विकसित बनाएं: समापन सत्र में गूंजा मूल संदेश

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समापन सत्र में मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष अशोक पांडे ने कहा कि पत्रकारिता का मूल धर्म है सत्य को बिना रंग-रोगन के समाज के सामने प्रस्तुत करना। विश्वविद्यालय के कुलगुरु विजय मनोहर तिवारी ने कहा कि आने वाले दो दशकों में जब भारत स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे करेगा, तब विकसित भारत का सपना युवाओं की मेहनत से ही साकार होगा।

इस अवसर पर सिनेमा अध्ययन विभाग के छात्र उत्सव ठाकुर को स्व. अनिल चौबे स्मृति पदक और 21 हजार रुपये की राशि से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के संचालन में डॉ. गजेन्द्र अवस्थ्या, डॉ. सुनीता द्विवेदी और राहुल खड़िया ने योगदान दिया। समापन पर आभार प्रदर्शन कुलसचिव प्रो. पी. शशिकला ने किया।

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