शारदा विश्वविद्यालय में वैश्विक तकनीकी मंथन : स्मार्ट इनोवेशन से गढ़े जाएंगे विकास के नए आयाम

राष्ट्रीय शिखर
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Global technology brainstorming at Sharda University

ग्रेटर नोएडा (शिखर समाचार)
शारदा विश्वविद्यालय एक बार फिर टेक्नोलॉजी और रिसर्च की वैश्विक राजधानी बनकर उभरा है, जहां शुक्रवार से इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन इमर्जिंग स्मार्ट टेक्नोलॉजी फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट की गूंज नॉलेज पार्क से निकलकर वैश्विक सोच में समाहित हो गई। यह सम्मेलन न केवल तकनीक की बात करता है, बल्कि भविष्य को आकार देने वाले विज़न और मिशन की ज़मीन तैयार करता है। सोसाइटी ऑफ़ इन्क्लूसिव रिसर्च फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट और शिबानी इकोनॉमिक एजुकेशनल डेवलपमेंट फाउंडेशन ट्रस्ट द्वारा आयोजित इस दो दिवसीय आयोजन में दुनिया भर से आए शोधार्थियों, वैज्ञानिकों, नीति निर्माताओं और शिक्षाविदों ने एक साझा मंच से तकनीकी नवाचारों को विकास की चाबी बताया। स्प्रिंगर ने इस आयोजन में नॉलेज पार्टनर बनकर बौद्धिक ताकत को और धार दी।

जिनमें तकनीक के ज़रिए भविष्य को टिकाऊ, सुरक्षित और समावेशी बनाने के उपाय सुझाए गए

दीप प्रज्वलन के साथ शुरू हुए इस भव्य आयोजन में मंच पर मौजूद थे पूर्व कुलपति डॉ. आरके खंडाल, एडिशनल सीपी अजय कुमार, मिनिस्ट्री ऑफ टेक्सटाइल की बिजेता मोहंती, शिबानी फाउंडेशन की चेयरपर्सन बर्नाली खारा, शारदा विवि के प्रो चांसलर वाईके गुप्ता और वाइस चांसलर डॉ. सिबाराम खारा। सम्मेलन में शोध की शक्ति का प्रदर्शन करते हुए 200 से अधिक शोधपत्र प्रस्तुत किए गए, जिनमें तकनीक के ज़रिए भविष्य को टिकाऊ, सुरक्षित और समावेशी बनाने के उपाय सुझाए गए।

डॉ. आर के खंडाल ने अपने उद्घाटन भाषण में स्पष्ट किया कि स्मार्ट टेक्नोलॉजी केवल उपकरण नहीं, बल्कि समाज की रचना के यंत्र बन चुके हैं। उन्होंने कहा कि यह तकनीक स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, शासन और पर्यावरण संरक्षण जैसे क्षेत्रों में क्रांति ला रही है। स्मार्ट सिस्टम डेटा का उपयोग करके न केवल तेज़ निर्णय लेते हैं, बल्कि समाधान को ज्यादा कुशल, सटीक और सामाजिक दृष्टि से प्रभावी बनाते हैं।

वहीं एडिशनल सीपी अजय कुमार ने टेक्नोलॉजी की दोधारी तलवार को रेखांकित करते हुए कहा कि जितनी तीव्र इसकी ताकत है, उतनी ही सावधानी इसकी दिशा तय करने में ज़रूरी है। जब तक स्मार्ट टेक्नोलॉजी के साथ साइबर सुरक्षा, डेटा प्राइवेसी और सामाजिक जवाबदेही को संतुलित नहीं किया जाएगा, तब तक यह समाज के लिए वरदान नहीं बन पाएगी।

शारदा विश्वविद्यालय के प्रो चांसलर वाई के गुप्ता ने तकनीकी बदलाव को सिर्फ सिस्टम में नहीं, सोच में लाने की बात कही

शारदा विश्वविद्यालय के प्रो चांसलर वाई के गुप्ता ने तकनीकी बदलाव को सिर्फ सिस्टम में नहीं, सोच में लाने की बात कही। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय का मूल उद्देश्य छात्रों को ऐसी तकनीक से लैस करना है जिससे वे न केवल जॉब पाने लायक बनें, बल्कि समाज के लिए समाधान प्रस्तुत करने वाले लीडर बन सकें।

सम्मेलन में डॉ. रामजी प्रसाद, प्रो वाइस चांसलर डॉ. परमानंद, डॉ. आरसी सिंह, डॉ. पल्लवी गुप्ता, डॉ. अजीत कुमार समेत विभिन्न विभागों के डीन, एचओडी और अकादमिक दिग्गजों ने भी शिरकत की। पूरा माहौल शोध, नवाचार और वैश्विक सहयोग के सूत्रों से बुनता नज़र आया।

इस सम्मेलन ने यह सिद्ध कर दिया कि तकनीक केवल प्रयोगशालाओं तक सीमित रहने वाली अवधारणा नहीं, बल्कि जब वह समाज की ज़रूरतों के साथ जुड़ती है, तभी वह सतत विकास का आधार बनती है। शारदा विश्वविद्यालय ने इस आयोजन के ज़रिए न केवल तकनीकी नेतृत्व दिखाया, बल्कि एक ऐसा संवाद शुरू किया जो आने वाले वर्षों तक वैश्विक एजेंडा तय करेगा।

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