ग्रेटर नोएडा (शिखर समाचार)। एक बार फिर शारदा विश्वविद्यालय ने अपनी तकनीकी क्षमता और नवाचार का लोहा मनवाया है। विश्वविद्यालय के कंप्यूटर साइंस एवं इंजीनियरिंग विभाग की प्रतिभाशाली टीम सूर्या ने इसरो द्वारा आयोजित प्रतिष्ठित रोबोटिक्स चैलेंज में अखिल भारतीय स्तर पर दूसरा स्थान अर्जित कर लिया। फाइनल राउंड बेंगलुरु के इसरो यूआरएससी सैटेलाइट सेंटर में आयोजित हुआ, जहां टीम ने अपने अद्वितीय नेविगेशन सिस्टम, स्थानीयकरण तकनीक और स्वचालित लैंडिंग की क्षमता से सबका ध्यान खींचा। इस मौके पर अंतरिक्ष राज्य मंत्री और इसरो निदेशक ने विजेता टीम को सम्मानित किया।
शारदा की ‘टीम सूर्या’ ने ISRO चैलेंज में रचा इतिहास, रोबोटिक्स फील्ड में देश को दिलाया नया मुकाम
प्रतियोगिता की कठिनाइयों का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि इसमें देशभर से 510 टीमों ने पंजीकरण कराया। इनमें से केवल 222 टीमों को प्रारंभिक दौर के लिए चुना गया, फिर 177 ने क्वालीफिकेशन राउंड पार किया और उसके बाद मात्र 37 टीमें ही एलिमिनेशन राउंड तक पहुंच पाईं। अंततः आईआईटी, एनआईटी और आईआईआईटी जैसी नामचीन संस्थाओं के बीच केवल 16 टीमें ही अंतिम फील्ड राउंड में पहुंच सकीं, जिनमें शारदा विश्वविद्यालय की टीम ने अपने दमदार प्रदर्शन से दूसरा स्थान झटककर सबको चौंका दिया।
टीम का नेतृत्व कार्तिक पांडे और सह-लीड मुस्कान ने किया, जबकि प्रशांत ने सक्रिय सदस्य के रूप में योगदान दिया। पूरी टीम को प्रो. रानी अस्त्य और जितेंद्र सिंह का मार्गदर्शन मिला। विश्वविद्यालय ने इस परियोजना को आर्थिक सहयोग भी उपलब्ध कराया। टीम ने जिस यूएवी सिस्टम का विकास किया है, वह पूरी तरह जीपीएस-रहित वातावरण में भी सुरक्षित उड़ान भरने और खुद को स्थानीयकृत करने में सक्षम है। इतना ही नहीं यह प्रणाली अपने ऑनबोर्ड नेविगेशन से सुरक्षित लैंडिंग स्थलों की पहचान कर सटीक स्वचालित लैंडिंग भी कर सकती है।
राष्ट्रपति से सम्मानित ‘टीम सूर्या’ ने फिर लहराया परचम, इसरो चैलेंज में दूसरी बड़ी जीत से रचा इतिहास
ALSO READ:https://rashtriyashikhar.com/vijayanagar-police-recovered-lakhs-lost-to-cyber-fraud/
गौरतलब है कि इससे पहले भी टीम सूर्या को राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू इसरो रोवर चैलेंज 2024 में तृतीय पुरस्कार से नवाज़ चुकी हैं। यह उपलब्धि छात्रों की निरंतर मेहनत, नवाचार और टीमवर्क का परिणाम है।
विश्वविद्यालय के प्रो वाइस चांसलर डॉ. परमानंद ने कहा कि यह गौरवपूर्ण पल शारदा विश्वविद्यालय के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में दर्ज होगा। विभागाध्यक्ष प्रो. सुदीप वार्ष्णेय के अनुसार, यह सफलता युवा प्रतिभाओं की मेहनत और तकनीकी कौशल का प्रत्यक्ष उदाहरण है। वहीं चांसलर पी.के. गुप्ता ने बधाई देते हुए कहा कि यह उपलब्धि विश्वविद्यालय के विज़न को और मजबूती देती है कि हमारे विद्यार्थी न केवल देश, बल्कि पूरी दुनिया के विकास में अपनी भूमिका निभाएं।

यह जीत सिर्फ़ शारदा विश्वविद्यालय की उपलब्धि नहीं है, बल्कि भारत की अंतरिक्ष तकनीक और रोबोटिक्स क्षेत्र को नई ऊंचाई तक ले जाने वाला एक मजबूत कदम भी है।