हापुड़ (शिखर समाचार)
शिक्षक दिवस पर जब पूरे देश में गुरु-शिष्य परंपरा का सम्मान किया जा रहा है, ऐसे अवसर पर हापुड़ नगर क्षेत्र की शिवा प्राथमिक पाठशाला की प्रधानाध्यापिका डॉ. सुमन अग्रवाल का संघर्ष और उनकी उपलब्धियां एक अलग ही प्रेरणा का संदेश देती हैं। डॉ. सुमन ने 12 साल तक लगातार मेहनत कर उस पाठशाला को न केवल अवैध कब्जे से आज़ाद कराया, बल्कि वहां एक भव्य और आधुनिक विद्यालय का निर्माण भी कराया। आज यह भवन न सिर्फ शिक्षा का केंद्र है, बल्कि उनके साहस और समर्पण की गवाही भी देता है।
संघर्ष से सफलता तक: डॉ. सुमन अग्रवाल ने 12 वर्षों की लड़ाई में दिलाया विद्यालय को नया जीवन
डॉ. सुमन अग्रवाल ने वर्ष 2011 में जब प्रधानाध्यापिका के रूप में कार्यभार संभाला, तब विद्यालय की स्थिति बेहद खराब थी। कक्षाएं गहरे गड्ढों में चल रही थीं और भवन पूरी तरह जर्जर हो चुका था। अवैध कब्जे के कारण विद्यालय के भविष्य पर संकट मंडरा रहा था। लेकिन सुमन जी ने हार मानने के बजाय जंग छेड़ी और बारह वर्षों तक हर स्तर पर संघर्ष किया। उनके अथक प्रयासों और प्रशासनिक सहयोग से आखिरकार विद्यालय की जमीन को कब्जामुक्त कराया गया।
उनकी कोशिशों का नतीजा यह हुआ कि वर्ष 2021 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वयं शिवा प्राथमिक पाठशाला के नए भवन का शिलान्यास किया और कुछ ही समय में 150 गज भूमि पर सुंदर विद्यालय खड़ा हो गया। इस उपलब्धि के लिए डॉ. सुमन को कई मंचों पर सम्मानित किया गया। जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक, मुख्य विकास अधिकारी, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी, हापुड़-पिलखुवा विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष, क्षेत्रीय विधायक, प्रदेश के मंत्रीगण, यहां तक कि दिल्ली सरकार के विधानसभा अध्यक्ष और शिक्षा मंत्री भी उन्हें सम्मानित कर चुके हैं।
मजबूत इरादों की मिसाल: डॉ. सुमन अग्रवाल ने बदली विद्यालय की तस्वीर, तकनीकी नवाचार और संघर्ष से रचा नया इतिहास
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डॉ. सुमन अग्रवाल न केवल एक कर्मठ प्रधानाध्यापिका हैं, बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में नए प्रयोग और तकनीकी उपयोग को लेकर भी सक्रिय रही हैं। आईसीटी में राज्य स्तर पर चयनित होना उनकी कार्यशैली और निष्ठा का प्रमाण है।
उनकी संघर्षगाथा इस बात का प्रमाण है कि अगर इरादे मजबूत हों तो किसी भी मुश्किल को पार किया जा सकता है। अवैध कब्जे से मुक्त कराए गए इस विद्यालय की दीवारें आज बच्चों की मुस्कान और शिक्षा की चमक से रोशन हैं।

शिक्षक दिवस पर डॉ. सुमन अग्रवाल की यह कहानी समाज को यह संदेश देती है कि एक सच्चा शिक्षक केवल पढ़ाई तक सीमित नहीं होता, बल्कि समाज की दिशा और दशा बदलने की ताकत भी रखता है। उनका यह सफर आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।