ग्रेटर नोएडा (शिखर समाचार)। उत्तर प्रदेश के लाखों शिक्षकों के भविष्य पर मंडराए संकट ने हालात को बेहद गंभीर बना दिया है। सर्वोच्च न्यायालय के ताज़ा आदेश के बाद यह आशंका गहराने लगी है कि बड़ी संख्या में शिक्षक असुरक्षा की खाई में धकेल दिए जाएंगे। इसी परिप्रेक्ष्य में उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने आज लखनऊ स्थित शिक्षक भवन में एक अहम आपात बैठक बुलाई। इस बैठक की कमान प्रदेश अध्यक्ष दिनेश चंद्र शर्मा ने संभाली, जिसमें प्रदेश कार्यसमिति के प्रतिनिधियों के साथ-साथ सभी ज़िलाध्यक्ष और मंत्री शामिल हुए।
शिक्षक संघ की रणनीति
बैठक का मुख्य एजेंडा सुप्रीम कोर्ट के आदेश से उपजे हालात पर मंथन करना और भविष्य की ठोस कार्ययोजना तैयार करना रहा। विचार-विमर्श के उपरांत यह सर्वसम्मति बनी कि सबसे पहले TET और NON-TET शिक्षकों की विस्तृत जानकारी तत्काल एकत्र की जाए। इन आँकड़ों और दस्तावेज़ों के आधार पर शिक्षक संघ सर्वोच्च न्यायालय और भारत सरकार के समक्ष अपना पक्ष दृढ़ता से रखने की रणनीति अपनाएगा।
यही नहीं संगठन ने यह भी निर्णय लिया कि आगामी 16 सितंबर को दोपहर 2 बजे ज़िलाधिकारियों के माध्यम से प्रधानमंत्री को ज्ञापन सौंपा जाएगा। संघ का मानना है कि यह सिर्फ एक औपचारिकता नहीं बल्कि शिक्षकों की एकजुटता का प्रतीक बनेगा।
दिनेश चंद्र शर्मा का स्पष्ट संदेश
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प्रदेश अध्यक्ष दिनेश चंद्र शर्मा ने बैठक में साफ शब्दों में कहा कि “अब हालात करो या मरो वाले हैं। अगर हर शिक्षक अपने दस्तावेज़ और तथ्य तैयार रखेगा तो हम एक मजबूत कानूनी और लोकतांत्रिक लड़ाई लड़ पाएंगे। हमें किसी भी स्तर पर ढिलाई नहीं बरतनी है और हर मंच पर पूरी ताकत से अपनी आवाज़ उठानी है।
शिक्षक संघ का रुख अब पूरी तरह आक्रामक दिख रहा है। संगठन ने संकेत दिए हैं कि यदि उनकी मांगों पर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो संघर्ष की रूपरेखा और भी व्यापक होगी। बैठक में मण्डल अध्यक्ष मेघराज भाटी, ज़िलाध्यक्ष प्रवीण शर्मा, जिला मंत्री गजन भाटी और जेवर के अध्यक्ष हेमराज शर्मा विशेष रूप से मौजूद रहे। यह आपात बैठक सिर्फ रणनीति तय करने का मंच नहीं थी, बल्कि इसने पूरे प्रदेश के शिक्षकों को यह संदेश भी दिया कि संकट चाहे कितना भी बड़ा क्यों न हो, एकता और सामूहिक संघर्ष ही समाधान की राह बनाएगा।