Supreme Court dismissed the सिद्धि प्रधान अग्रवाल Petition, गाजियाबाद नगर निगम वार्ड-87 से पार्षद अनुज त्यागी की वैधता पर फिर लगी मुहर

Rashtriya Shikhar
4 Min Read
Supreme Court dismissed the petition

नई दिल्ली (शिखर समाचार) वार्ड संख्या 87 के नगर निगम चुनाव को लेकर लंबे समय से चल रहे विवाद पर आखिरकार आज सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने अंतिम निर्णय सुना दिया है। सिद्धि प्रधान अग्रवाल द्वारा दायर की गई विशेष अनुमति याचिका (Petition) को सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उन्हें इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले में किसी भी प्रकार से हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं दिखता। इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी पार्षद अनुज त्यागी के निर्वाचन को वैध ठहराया था और अब सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ ने भी उसी निर्णय की पुष्टि कर दी है।

अदालत ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि संविधान के अनुच्छेद 136 के

ALSO READ:https://www.business-standard.com/india-news/3-7-magnitude-earthquake-felt-in-delhi-orginating-in-jhajjar-haryana-125071101229_1.html

न्यायमूर्ति सुधांशु धुलिया और न्यायमूर्ति जॉयमाल्य बागची की खंडपीठ के समक्ष यह मामला 11 जुलाई 2025 को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध था। अदालत ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि संविधान के अनुच्छेद 136 के अंतर्गत हस्तक्षेप करने का कोई औचित्य नहीं बनता, इसलिए यह याचिका (Petition) स्वीकार नहीं की जा सकती। अदालत ने सभी संबंधित अंतरिम प्रार्थनापत्रों को भी खारिज करते हुए मामले को पूर्ण रूप से समाप्त कर दिया।

सिद्धि प्रधान अग्रवाल ने नगर निगम चुनाव 2023 के दौरान वार्ड 87 में अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए मतगणना प्रक्रिया और परिणाम को चुनौती दी थी। उन्होंने पहले इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी, जहां से उन्हें राहत नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन यहां भी उन्हें निराशा हाथ लगी। जिला निर्वाचन अधिकारी समेत सभी उत्तरदाताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता क्षितिज मुद्गल, विकल्प मुद्गल, शुभम त्यागी और साक्षी गौर ने कोर्ट में प्रभावशाली तर्क रखे और यह बताया कि निर्वाचन प्रक्रिया पूरी तरह से नियमों के तहत पारदर्शी ढंग से की गई थी और अनुज त्यागी का चुनाव कानूनी रूप से वैध है। कोर्ट ने उनके तर्कों को मानते हुए न सिर्फ याचिका खारिज की बल्कि निर्वाचन अधिकारी के कार्यों पर भी संतोष व्यक्त किया।

इस फैसले के साथ ही अब यह स्पष्ट हो गया है

ALSO READ:https://rashtriyashikhar.com/noida-authority-strictness-fine-of-rs-10-lakh/

वहीं याचिकाकर्ता सिद्धि प्रधान अग्रवाल की ओर से अधिवक्ता भंडारी अंचित अमित और विशाल सिंघल ने पक्ष रखा, लेकिन उनके द्वारा प्रस्तुत किए गए तथ्यों को न्यायालय ने यथोचित नहीं माना। इस फैसले के साथ ही अब यह स्पष्ट हो गया है कि वार्ड 87 से निर्वाचित पार्षद अनुज त्यागी ही मान्य जनप्रतिनिधि बने रहेंगे और उनके चुनाव को लेकर कोई और कानूनी रुकावट शेष नहीं रही है। यह निर्णय न सिर्फ अनुज त्यागी के लिए राहत का कारण बना है, बल्कि इससे नगर निगम की कार्यप्रणाली में स्थिरता भी सुनिश्चित हुई है।

सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद शहर में राजनीतिक चर्चाओं का दौर भी तेज हो गया है और समर्थकों में खुशी की लहर है। वहीं सिद्धि प्रधान अग्रवाल खेमे को एक और कानूनी झटका झेलना पड़ा है। अब देखना होगा कि इस फैसले के बाद भविष्य की राजनीति में किस प्रकार के बदलाव देखने को मिलते हैं।

Share This Article
Leave a comment