हापुड़ (शिखर समाचार)
नगर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के दौरान कथावाचक पुंडरीक गोस्वामी ने श्रोताओं को भक्ति, धर्म और सदाचार का संदेश देते हुए कहा कि सच्चा साधक वही है, जो प्रतिकूल हालात में भी धर्ममार्ग से विचलित नहीं होता। जीवन की कठिन घड़ियों में विवेक ही मनुष्य को सही दिशा प्रदान करता है। परीक्षित चरित्र का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि श्राप प्राप्त होने के बाद भी उन्होंने भोग-विलास की ओर न जाकर संत समाज के सान्निध्य को चुनते हुए कथा का आयोजन किया, जो उनके उदात्त चरित्र और अध्यात्मिक दृष्टि को दर्शाता है।
भक्त की भावना ही भोग से बड़ी: कथावाचक ने समझाई सच्ची भक्ति
कथावाचक ने कहा कि भगवान को भोग की भव्यता नहीं, बल्कि भक्त की शुद्ध भावना प्रिय होती है। समर्पण का मूल्य सामग्री से नहीं, बल्कि भाव से आंका जाता है। छप्पन भोग की महिमा का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति अपने हित से पहले दूसरों की सुविधा और सुख की चिंता करे, वही सच्चा धर्मप्रेमी और संतों का योग्य अनुयायी माना जाता है।
कथा स्थली पर श्रोताओं की बड़ी संख्या उपस्थित रही और भाव-विभोर होकर उन्होंने धार्मिक प्रवचनों का रसास्वादन किया।

