स्मार्ट ग्रिड और ऊर्जा भंडारण से बनेगा मजबूत व भविष्य सक्षम भारतीय ऊर्जा तंत्र

Rashtriya Shikhar
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Smart grids and energy storage will create a robust and future-proof Indian energy system IMAGE CREDIT TO फिक्की

नई दिल्ली (शिखर समाचार)
भारत का ऊर्जा क्षेत्र इस समय एक ऐसे निर्णायक दौर से गुजर रहा है, जहां केवल बिजली उत्पादन बढ़ाना ही पर्याप्त नहीं रह गया है, बल्कि ग्रिड की मजबूती, वितरण प्रणाली का आधुनिकीकरण और ऊर्जा भंडारण की प्रभावी व्यवस्था ही आने वाले दशकों की दिशा तय करेगी। यह विचार फिक्की द्वारा आयोजित भारतीय विद्युत एवं ऊर्जा भंडारण सम्मेलन 2025 में नीति निर्धारकों, नियामकों और उद्योग जगत के वरिष्ठ प्रतिनिधियों ने साझा किए।

भारत ने किया ऊर्जा क्षेत्र में बड़ा छलांग: बिजली अधिशेष से लेकर नवीकरणीय ऊर्जा की ओर

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सम्मेलन में यह स्पष्ट किया गया कि भारत अब बिजली अधिशेष की अवस्था से आगे बढ़ते हुए स्थिर, लचीले और भरोसेमंद ऊर्जा ढांचे की ओर अग्रसर है। देश में कुल स्थापित विद्युत क्षमता 500 गीगावाट से अधिक हो चुकी है, जिससे भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा बिजली उत्पादक देश बन गया है। नवीकरणीय ऊर्जा का हिस्सा अब स्थापित क्षमता में आधे से अधिक हो गया है, जबकि वास्तविक उत्पादन में तापीय विद्युत संयंत्र आज भी प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं।

पावर मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव श्रीकांत नागुलपल्ली ने कहा कि भारत का ऊर्जा परिवर्तन केवल पर्यावरण संरक्षण तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका सीधा संबंध ऊर्जा स्वतंत्रता और वर्ष 2047 तक निरंतर आर्थिक विकास से है। उन्होंने प्रस्तावित विद्युत संशोधन विधेयक का उल्लेख करते हुए कहा कि वितरण क्षेत्र में दक्षता बढ़ाने, बाजार आधारित सुधारों को प्रोत्साहन देने और मौजूदा अवसंरचना के बेहतर उपयोग पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। उनके अनुसार आंकड़ा विश्लेषण, कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित ग्रिड प्रबंधन और प्रदर्शन आधारित प्रोत्साहन भविष्य के ऊर्जा तंत्र की रीढ़ होंगे।

स्मार्ट ग्रिड से बिजली वितरण में क्रांति: पारदर्शिता और अधिकारों की नई सुबह

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सम्मेलन में वितरण क्षेत्र को सुधार की सबसे अहम कड़ी बताया गया। नेशनल स्मार्ट ग्रिड मिशन के निदेशक अतुल बाली ने कहा कि स्मार्ट मीटर और स्मार्ट ग्रिड जैसी तकनीकें वितरण प्रणाली में पारदर्शिता और अनुशासन ला रही हैं। इससे बिलिंग व्यवस्था मजबूत हुई है, राजस्व संग्रह बढ़ा है और उपभोक्ताओं को भी अधिक अधिकार और जानकारी मिल रही है।

प्रणाली नियोजन के दृष्टिकोण से विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर दिया कि नवीकरणीय ऊर्जा के तेजी से विस्तार के बीच तापीय विद्युत संयंत्रों का संतुलित और लचीला संचालन अत्यंत आवश्यक है। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के सदस्य प्रवीन गुप्ता ने कहा कि तापीय संयंत्रों को अधिक लचीले ढंग से चलाना जरूरी हो गया है, लेकिन यह प्रक्रिया इस प्रकार होनी चाहिए कि संयंत्रों की तकनीकी सेहत और दीर्घकालिक स्थायित्व प्रभावित न हो।

उद्योग जगत की चेतावनी: तापीय ऊर्जा पर बढ़ता दबाव, नवीकरणीय ऊर्जा के साथ संतुलन जरूरी

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उद्योग जगत के प्रतिनिधियों ने मौजूदा उत्पादन परिसंपत्तियों पर बढ़ते तकनीकी और वित्तीय दबावों को लेकर चिंता जताई। फिक्की पावर समिति के सह-अध्यक्ष दिनेश बत्रा ने कहा कि तापीय ऊर्जा आज भी देश की बिजली व्यवस्था की रीढ़ है, किंतु बढ़ती लचीलापन आवश्यकताओं के कारण इन परिसंपत्तियों पर अतिरिक्त दबाव पड़ रहा है। उन्होंने नीति और बाजार संरचना में ऐसे सुधारों की आवश्यकता बताई, जिससे नवीकरणीय ऊर्जा का समावेश भी सुचारू हो और मौजूदा तापीय क्षमता भी सुरक्षित रहे।

विश्लेषकों ने सम्मेलन में यह भी रेखांकित किया कि नीति की स्पष्टता, तकनीकी नवाचार और वित्तीय स्थिरता तीनों को एक साथ आगे बढ़ाना अनिवार्य है। क्रिसिल के निदेशक आशीष मित्तल ने कहा कि डिजिटल प्रक्रियाएं, वास्तविक समय पर आधारित बिजली बाजार, परिसंपत्तियों का आधुनिकीकरण और लचीला संचालन भारत की बदलती मांग आपूर्ति व्यवस्था को संतुलित करने में निर्णायक भूमिका निभाएंगे।

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ऊर्जा भंडारण को ग्रिड स्थिरता की गुम होती कड़ी के रूप में प्रस्तुत किया गया। जिंदल पावर लिमिटेड के सलाहकार अनिल कुमार पांडे ने कहा कि ऊर्जा भंडारण न केवल अधिकतम मांग के समय की चुनौतियों को कम करता है, बल्कि नवीकरणीय ऊर्जा के सर्वोत्तम उपयोग को भी संभव बनाता है। इसके लिए उन्होंने स्पष्ट नीतिगत प्रोत्साहन और व्यवहार्य शुल्क संरचना की आवश्यकता पर बल दिया।

सम्मेलन का समापन इस व्यापक सहमति के साथ हुआ कि नीति और उद्योग के बीच मजबूत समन्वय, ऊर्जा भंडारण आधारित लचीलापन, बाजार आधारित सुधार और तकनीक संचालित परिवर्तन के माध्यम से ही भारत का ऊर्जा तंत्र विकसित भारत @2047 के लक्ष्य के अनुरूप सुदृढ़ और भविष्य सक्षम बन सकेगा।

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