ग्रेटर नोएडा (शिखर समाचार)। शिक्षा जगत में अंतरविषयी सहयोग की नई मिसाल कायम करते हुए शारदा विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ लॉ ने नेशनल फॉरेंसिक साइंसेज यूनिवर्सिटी के साथ एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। इस एमओयू को विधि और फॉरेंसिक साइंस की पढ़ाई को एक साझा मंच पर लाने की दिशा में मील का पत्थर माना जा रहा है।
एमओयू से विधि शिक्षा को मिला वैज्ञानिक दृष्टिकोण, फॉरेंसिक के सहारे छात्रों के सामने खुलेंगे नए अवसर
विश्वविद्यालय के लॉ स्कूल के डीन डॉ. ऋषिकेश दवे ने बताया कि इस साझेदारी के अंतर्गत न केवल संयुक्त शोध और शैक्षणिक आदान-प्रदान को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि छात्रों को कौशल-विकास और प्रशिक्षण के नए अवसर भी मिलेंगे। उन्होंने कहा कि इस पहल से भविष्य के वकीलों और शोधकर्ताओं को न्याय प्रक्रिया में वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने की समझ विकसित होगी। रिसर्च के दौरान छात्र प्रकाशन, शोध सामग्री और पुस्तकालय संसाधनों का उपयोग साझा कर सकेंगे, साथ ही प्रयोगशालाओं और अत्याधुनिक वैज्ञानिक उपकरणों का लाभ उठा पाएंगे।
फॉरेंसिक साइंस से न्याय प्रक्रिया होगी सशक्त, एमओयू बना छात्रों के लिए नया शैक्षणिक आयाम
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डॉ. दवे ने फॉरेंसिक की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि न्यायालयों में कई बार सबूतों के अभाव में मुकदमों का सही निष्कर्ष नहीं निकल पाता और फैसले संदेह पर टिक जाते हैं। ऐसे में फॉरेंसिक साइंस न केवल जांच प्रक्रिया को मजबूती देता है, बल्कि न्याय प्रणाली को भी अधिक पारदर्शी बनाता है। इस एमओयू के माध्यम से विधि शिक्षा और वैज्ञानिक विश्लेषण का समन्वय छात्रों के लिए सीखने और समझने का एक नया आयाम खोलेगा।

कार्यक्रम के दौरान विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ. विवेक गुप्ता, डॉ. पूर्वी पोखरियाल और डॉ. तर्केश मोलिया भी मौजूद रहे। इस अवसर पर उन्होंने इस साझेदारी को शिक्षा क्षेत्र में अभूतपूर्व कदम बताते हुए कहा कि इससे विद्यार्थियों के सामने वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने का मार्ग प्रशस्त होगा।