ग्रेटर नोएडा (शिखर समाचार)
ग्रेटर नोएडा के सैनी, सुनपुरा, वैदपुरा और सादुल्लापुर गांवों में लंबे समय से चल रही सीवर अव्यवस्था को अब स्थायी समाधान मिलने जा रहा है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने इन चारों गांवों को मेन सीवर लाइन से जोड़ने की दिशा में निर्माण कार्य शुरू करा दिया है। इस परियोजना पर लगभग 5.37 करोड़ रुपये की लागत आएगी और इसे दिसंबर 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
जलभराव और गंदगी से मिलेगी निजात, चार गांव जुड़ेंगे नई सीवर लाइन से
उल्लेखनीय है कि इन गांवों में वर्षों से बरसात के समय जलभराव, सीवर ओवरफ्लो और बदबूदार गंदे पानी की समस्या ग्रामीणों की रोजमर्रा की जिंदगी को प्रभावित कर रही थी। अब प्राधिकरण ने इन समस्याओं को गंभीरता से लेते हुए वर्क सर्किल-दो के माध्यम से निर्माण कार्य प्रारंभ कर दिया है। वर्क सर्किल-दो के वरिष्ठ प्रबंधक नरोत्तम सिंह ने जानकारी दी कि परियोजना की टेंडर प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है और निर्माण कार्य पिछले माह से गति पकड़ चुका है। यह कार्य 130 मीटर चौड़ी सड़क के नीचे से गुजर रही मुख्य सीवर लाइन से इन चारों गांवों को जोड़ने हेतु किया जा रहा है।
प्राधिकरण के सीईओ एन जी रवि कुमार द्वारा दिए गए निर्देशों के तहत इस पूरी योजना को चरणबद्ध ढंग से आगे बढ़ाया जा रहा है ताकि कार्य की गुणवत्ता और समयसीमा दोनों सुनिश्चित रह सकें। सीवर व्यवस्था से जुड़ने के बाद इन गांवों में पानी का रुकना, रास्तों पर गंदगी फैलना और घरों के आसपास कीचड़ जैसी स्थितियों से छुटकारा मिल सकेगा।
सिर्फ सीवर नहीं, ग्रामीण जीवन में स्वच्छता और सुविधा का नया दौर!
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एसीईओ प्रेरणा सिंह ने बताया कि यह कार्य केवल निर्माण से जुड़ा नहीं है, बल्कि ग्रामीणों के जीवन स्तर को सुधारने की दिशा में अहम कदम है। इन गांवों की आंतरिक सीवर लाइनों को मेन लाइन से जोड़ने के बाद न केवल ओवरफ्लो जैसी समस्याएं समाप्त होंगी, बल्कि पूरे क्षेत्र का पर्यावरण अधिक स्वच्छ और स्वस्थ होगा। रास्तों पर जमा गंदा पानी, दुर्गंध और कीटजनित बीमारियों की समस्या से मुक्ति मिलेगी।
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण द्वारा उठाया गया यह कदम भविष्य के लिए बुनियादी ढांचे की मजबूती की मिसाल पेश करेगा। ग्रामीण क्षेत्र को शहरी सुविधाओं से जोड़ने की दिशा में यह प्रयास एक बड़ी पहल है, जिससे अन्य गांवों को भी आगे लाभ मिल सकता है। प्राधिकरण द्वारा समयबद्ध तरीके से यदि इस कार्य को पूर्ण किया जाता है, तो यह परियोजना न केवल तकनीकी रूप से सफल होगी, बल्कि जनहित में भी अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगी।