क्रिकेट के शिल्पकार की विदाई: लक्ष्य राज त्यागी की साधना को सलाम

राष्ट्रीय शिखर
5 Min Read
Salute to the sadhana of Lakshya Raj Tyagi

ग्रेटर नोएडा (शिखर समाचार)
कुछ नाम होते हैं जो केवल खेल नहीं सिखाते, बल्कि एक विचार, एक परंपरा और एक युग गढ़ते हैं। लक्ष्य राज त्यागी ऐसा ही एक नाम हैं, जिन्होंने उत्तर प्रदेश क्रिकेट को न केवल दिशा दी, बल्कि उसे नई पहचान दी।

30 जून 2025 का दिन गौतम बुद्ध नगर स्टेडियम का मंच सादा था, पर भावनाएं प्रबल। उत्तर प्रदेश खेल निदेशालय के अंतर्गत कार्यरत खेल अधिकारी व वरिष्ठ कोच लक्ष्य राज त्यागी को सेवानिवृत्ति पर भावभीनी विदाई दी गई। पर यह सिर्फ एक सरकारी औपचारिकता नहीं, बल्कि उन हजारों कदमों की गूंज थी जो उन्होंने अपने जीवन भर खिलाड़ियों को गढ़ने में चलाए।

संजीव ज़खमोला पूर्व सदस्य उत्तर प्रदेश रणजी टीम बीसीसीआई लेवल 2 कोच ने अपने विचार रखते

संजीव ज़खमोला पूर्व सदस्य उत्तर प्रदेश रणजी टीम बीसीसीआई लेवल 2 कोच पूर्व प्रशिक्षु ग्रीन पार्क क्रिकेट छात्रावास ने इस मोके पर अपने विचार रखते हुए कहा कि कानपुर स्थित ग्रीन पार्क खेल छात्रावास से एक समर्पित खिलाड़ी के रूप में अपने करियर की शुरुआत करने वाले त्यागी जी ने प्रशिक्षण उपरांत NIS (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोर्ट्स) से कोचिंग प्रशिक्षण लिया और फिर वर्ष 1988 से 1995 तक वहीँ बतौर क्रिकेट कोच सेवारत रहे। यह समयावधि छात्रावास का ‘स्वर्णिम काल’ मानी जाती है, जब प्रतिभा केवल खेल में नहीं, चरित्र में भी निखरी।

त्यागी जी की कोचिंग में निखरे खिलाड़ियों ने प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर तक अपनी पहचान बनाई उसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चमके ज्ञानेंद्र पांडेय, ज्योति यादव, मोहम्मद कैफ और राष्ट्रीय और राज्य स्तर के प्रमुख नाम मनोज मुद्गल, अरविंद कपूर, रामबाबू पाल, सतीश केशरवानी, कमलकांत कन्नौजिया, आदित्य शुक्ला, राकेश शर्मा, प्रदीप यादव, रंजीत यादव, बिजेंद्र सिंह, मूसी रज़ा, रत्नेश मिश्रा, सीमंत सिंह, आबिद मुरतज़ा, मनोज सिंह, रोहित जौली, देवदत्त तिवारी, नज़र खान आदि रहे।

उन्होंने बताया कि प्रतिभाएं जो मंच की तलाश में रह गईं, पर गुरु की नज़रों में नायाब रहीं उनमें रामसमीर शर्मा, विपिन अवस्थी, अहमद उल्लाह, तरुण मिश्रा, योगेंद्र यादव, उपेंद्र दत्ता, अरविंद शर्मा, अतिन, अमित सिंह, अश्वनी चौधरी थे। गुरु जिसने केवल खिलाड़ी नहीं, नागरिक गढ़े।

त्यागी जी की परिपक्व कोचिंग का प्रभाव केवल क्रिकेट तक सीमित नहीं रहा

त्यागी जी की परिपक्व कोचिंग का प्रभाव केवल क्रिकेट तक सीमित नहीं रहा। उनके एक शिष्य विजय राय ने पीसीएस परीक्षा उत्तीर्ण कर प्रांतीय सेवा में कदम रखा। उनके अनेक प्रशिक्षु आज रेलवे, केंद्र व राज्य सरकार की सेवाओं, लोक सेवा आयोग और मल्टीनेशनल कंपनियों में उच्च पदों पर कार्यरत हैं। कई खिलाड़ी कोच, चयनकर्ता और तकनीकी सलाहकार के रूप में क्रिकेट की सेवा कर रहे हैं।

इस विदाई को विशेष बनाने के लिए उनके कई पुराने शिष्य बिना पूर्व सूचना के कार्यक्रम में पहुंचे। योजना यह बनी कि उन्हें सपरिवार लंच पर आमंत्रित किया जाए। जब उन्होंने पूछा पर फैमिली कहाँ है? और दरवाज़ा खुला तो सामने वे सभी शिष्य थे, जो उनके जीवन की असली पूँजी रहे। उस क्षण की भावनाएं शब्दों में बंधना नहीं चाहतीं।

विदाई को विशेष बनाने के लिए उनके कई पुराने शिष्य बिना पूर्व सूचना के कार्यक्रम में पहुंचेhttps://rashtriyashikhar.com/the-door-to-find-the-countrys-heroes-is-open/

कार्यक्रम में उन खिलाड़ियों को भी स्मरण किया गया, जो अब इस संसार में नहीं हैं रामबाबू पाल, राम समीर शर्मा, राकेश शर्मा, आनंद दुबे, आबिद मुर्तजा, विनोद पांडे, प्रदीप इसरानी, भवानी शंकर रमानी, तनवीर अहमद, मनीष मिश्रा। रामबाबू पाल को प्रदेश क्रिकेट की अपूरणीय क्षति कहा गया।

अपने सम्मान से अभिभूत गुरु बोले कि यह मेरे जीवन का सबसे यादगार दिन है।
और उनकी पत्नी के एक साधारण से वाक्य ने पूरे माहौल को भावुक कर दिया और कहा कि ये आज बहुत खुश हैं।

जिस शख्स ने प्रदेश को अंतरराष्ट्रीय सितारे दिए, जो वर्षों तक अनुशासन, समर्पण और मौन कार्य से खिलाड़ियों को गढ़ता रहा क्या उन्हें प्रदेश के खेल तंत्र ने वह सम्मान दिया, जिसके वे अधिकारी थे?
यह प्रश्न है, जो हवा में तैरता रहेगा। जवाब सबके पास है पर शायद आइने से आंखें मिलाना कठिन है।
गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णुः, गुरु देवो महेश्वरः।
गुरुः साक्षात् परब्रह्म, तस्मै श्री गुरवे नमः॥

Share This Article
Leave a comment