मुरादनगर (शिखर समाचार)। पिपलेश्वर महादेव मंदिर का प्रांगण रविवार को तब विशेष आभा से आलोकित हो उठा जब पावन चिंतन धारा आश्रम के संस्थापक डॉ. पवन सिन्हा द्वारा स्थापित ऋषिकुलशाला का वार्षिकोत्सव धूमधाम से मनाया गया। एक कमरे से 2011 में प्रारम्भ हुई यह पहल आज नौ राज्यों तक पहुँचकर 25 केंद्रों के माध्यम से ढाई हजार से अधिक वंचित बच्चों को शिक्षा, संस्कार और कौशल विकास की राह दिखा रही है।
प्रतिभा का उत्सव: आत्मविश्वास और संस्कृति से सजे मंच ने जीता सबका दिल
वार्षिकोत्सव में बच्चों ने वैदिक मंत्रोच्चार से आरम्भ कर सूर्य नमस्कार, गीत, नृत्य और विविध सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से यह दर्शाया कि यदि अवसर और मार्गदर्शन मिले तो समाज का कोई भी बच्चा पिछड़ा नहीं रह सकता। उनकी आत्मविश्वास से भरी प्रस्तुतियाँ उपस्थित लोगों के लिए प्रेरणास्रोत रहीं।
इस अवसर पर डॉ. पवन सिन्हा ने कहा कि देश के लगभग साढ़े चार करोड़ बच्चे आज भी शिक्षा से वंचित हैं, जो भविष्य के लिए बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा, “हम सबकी जिम्मेदारी है कि इन बच्चों की आँखों में उजाले की किरण बनी रहे। ऋषिकुलशाला इसी संकल्प के साथ समाज के हर कोने तक शिक्षा और संस्कार पहुँचाने का प्रयास कर रही है।” उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि संस्था बिहार के सुदूरवर्ती सिवान जिले के मुसहर टोला जैसे बेहद पिछड़े क्षेत्र तक शिक्षा की अलख जगा रही है।
अतिथियों ने बढ़ाया हौसला, कहा—संस्था का प्रयास समाज के लिए प्रेरणादायक
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कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथियों के रूप में रामावतार जिंदल, अनिल साँवरिया, देवेंद्र हितकारी, अनिल तोमर, अनिल शर्मा, राजीव त्यागी और बबिता त्यागी मौजूद रहे। सभी अतिथियों ने बच्चों की प्रतिभा की सराहना करते हुए संस्था के प्रयासों को समाज के लिए अनुकरणीय बताया और हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया।
वार्षिकोत्सव का समापन इस सामूहिक संकल्प के साथ हुआ कि ऋषिकुलशाला शिक्षा, संस्कार और कौशल विकास की मशाल जलाकर राष्ट्र को आत्मनिर्भर, सशक्त और मूल्यनिष्ठ बनाने की दिशा में अपने कदम और मजबूत करेगी।