सरकारी स्कूलों की बंदी के खिलाफ फूटा गुस्सा, Protest letter submitted to public representatives, 8 जुलाई को होगा प्रदेशव्यापी प्रदर्शन

राष्ट्रीय शिखर
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Protest letter submitted to public representatives

ग्रेटर नोएडा (शिखर समाचार)
उत्तर प्रदेश में सरकारी स्कूलों की जबरन बंदी और शिक्षकों को सरप्लस घोषित किए जाने के शासनादेश ने शिक्षा जगत में उथल-पुथल मचा दी है। पेयरिंग पॉलिसी की आड़ में छोटे विद्यालयों को ताले लगाने की तैयारी पर अब संगठन खुलकर मैदान में उतर आए हैं। इसी क्रम में शुक्रवार को शिक्षकों का प्रतिनिधिमंडल जनप्रतिनिधियों से मिला और विरोध दर्ज कराया।

प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र के आह्वान पर गौतमबुद्धनगर जिले में शिक्षक संगठनों ने मोर्चा खोल दिया

प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र के आह्वान पर गौतमबुद्धनगर जिले में शिक्षक संगठनों ने मोर्चा खोल दिया। मंडल अध्यक्ष मेघराज भाटी, जिला अध्यक्ष प्रवीण शर्मा, जिलामंत्री गजन भाटी और ब्लॉक अध्यक्ष रवि भाटी के नेतृत्व में दादरी विधायक तेजपाल नागर को ज्ञापन सौंपा गया, जिसमें सरकार से इस नीति को तत्काल रद्द करने की सिफारिश करने की मांग रखी गई। साथ ही जेवर विधायक धीरेंद्र सिंह को भी वरिष्ठ उपाध्यक्ष बलेराम नागर व हेमराज शर्मा के नेतृत्व में ज्ञापन सौंपा गया।

नेताओं का कहना है कि प्रदेश सरकार 100 से कम छात्र संख्या वाले प्राथमिक

शिक्षक नेताओं का कहना है कि प्रदेश सरकार 100 से कम छात्र संख्या वाले प्राथमिक और 150 से कम संख्या वाले उच्च प्राथमिक विद्यालयों को बिना प्रधानाध्यापक के चला रही है। इससे न केवल शिक्षा का स्तर गिरेगा, बल्कि शिक्षकों की बेरोजगारी और बच्चों की शिक्षा बाधित होगी। मंडल अध्यक्ष मेघराज भाटी ने दो टूक कहा कि शासन की यह नीति शिक्षा को कुचलने वाली है। स्कूल बंद करने की जगह शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने पर ध्यान दिया जाना चाहिए।

जिला अध्यक्ष प्रवीण शर्मा ने चेतावनी दी कि गरीब बच्चों को दूर गांवों के स्कूलों में भेजना

वहीं जिला अध्यक्ष प्रवीण शर्मा ने चेतावनी दी कि गरीब बच्चों को दूर गांवों के स्कूलों में भेजना न तो व्यावहारिक है न सुरक्षित। सरकार की मंशा गरीबों को शिक्षा से वंचित करना है। जिलामंत्री गजन भाटी ने इसे शिक्षक और छात्र दोनों के हितों पर हमला बताया और कहा कि यह आदेश न तो शिक्षण हित में है, न ही सामाजिक समरसता के अनुरूप। इसी विरोध को मुखर करने के लिए प्रदेशव्यापी आंदोलन की रूपरेखा बनाई गई है।

नेताओं ने स्पष्ट किया कि 8 जुलाई को पूरे उत्तर प्रदेश में जिला मुख्यालयों पर बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन https://rashtriyashikhar.com/uttarakhand-wool-get-status-himalayan-herbal/

शिक्षक नेताओं ने स्पष्ट किया कि 8 जुलाई को पूरे उत्तर प्रदेश में जिला मुख्यालयों पर बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। सरकार यदि तब तक आदेश वापस नहीं लेती, तो यह आंदोलन और तेज होगा। इस विरोध ज्ञापन सौंपने के दौरान शिक्षकों की बड़ी संख्या मौजूद रही, जिनमें प्रमुख रूप से मेघराज भाटी, प्रवीण शर्मा, गजन भाटी, अशोक शर्मा, बलेराम नागर, हेमराज शर्मा, सतीश पीलवान, रवि भाटी, सतीश नागर, कुलदीप नागर, समरेश रावल, जगवीर शर्मा, मुकेश पाल, जितेंद्र, सुरेश नागर, अमित निमेष, महेश कुमार, भूपेंद्र नागर, वेदप्रकाश गौतम, ब्रजेशपाल सिंह, विनोद ठाकुर, अतुल उपाध्याय, रामकुमार शर्मा, रौदास सिंह, शौकत अली, अरविंद शर्मा, रेनू वर्मा, मनीषा सिंह, राखी रानी, मनीषा राजपूत, चेतराम, दानवीर शर्मा आदि शामिल रहे। शिक्षकों ने एक सुर में कहा कि यदि सरकार ने यह नीति नहीं रोकी, तो वे सड़क से लेकर सदन तक संघर्ष करेंगे जब तक आखिरी विद्यालय भी बचा रहे।

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