त्रिनिदाद की धरती पर भारतीय आस्था की गूंज : Prime Minister Modi ने भेंट की राम मंदिर की प्रतिकृति और पवित्र जल

राष्ट्रीय शिखर
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Prime Minister Modi

पोर्ट ऑफ स्पेन/नई दिल्ली (शिखर समाचार)
त्रिनिदाद और टोबैगो की ऐतिहासिक यात्रा के दौरान भारतीय Prime Minister Narendra Modi ने अपनी सांस्कृतिक कूटनीति की एक अनोखी मिसाल पेश की। प्रधानमंत्री कमला प्रसाद बिसेसर द्वारा आयोजित विशेष रात्रिभोज के अवसर पर मोदी ने उन्हें अयोध्या स्थित भव्य श्रीराम मंदिर की प्रतिकृति ससम्मान भेंट की। इसके साथ ही उन्होंने सरयू नदी का पवित्र जल और प्रयागराज में संपन्न महाकुंभ से लाया गया दिव्य जल भी सौंपा, जो भारतीय अध्यात्म और श्रद्धा की अनुपम धरोहर के रूप में देखा जा रहा है।

Prime Minister Modi द्वारा की गई यह भेंट न केवल सांस्कृतिक जुड़ाव का प्रतीक बनी

Prime Minister Modi द्वारा की गई यह भेंट न केवल सांस्कृतिक जुड़ाव का प्रतीक बनी, बल्कि दो देशों के बीच आत्मिक निकटता को भी उजागर करने वाली ऐतिहासिक पहल साबित हुई। उन्होंने कहा कि ये प्रतीक भारतीय उपासना परंपरा, आस्था और तीर्थों की जीवंत विरासत से जुड़े हैं, और त्रिनिदाद और टोबैगो जैसे उन देशों से भारत को जोड़ते हैं, जहां भारतीय मूल के लोगों ने अपनी संस्कृति को पीढ़ियों तक संजोया है।

भारत और त्रिनिदाद के बीच हजारों किलोमीटर की दूरी पर फैले सांस्कृतिक सेतु की पुष्टि

उन्होंने स्पष्ट किया कि यह सौगात मात्र उपहार नहीं, बल्कि भारत और त्रिनिदाद के बीच हजारों किलोमीटर की दूरी पर फैले सांस्कृतिक सेतु की पुष्टि है। त्रिनिदाद में बड़ी संख्या में भारतीय मूल के लोग रहते हैं, जिनकी जड़ें भारतीय परंपराओं से गहराई से जुड़ी हुई हैं। श्रीराम की प्रतिकृति और सरयू-महाकुंभ का पवित्र जल वहां के जनमानस को अपनी विरासत से एक बार फिर आत्मिक रूप से जोड़ने का संदेश लेकर पहुंचा।

इस भेंट को त्रिनिदाद सरकार और वहां की जनता ने भावुकता के साथ स्वीकार कियाhttps://rashtriyashikhar.com/j-ravinder-gaud-gave-instructions-to-officers/

इस भेंट को त्रिनिदाद सरकार और वहां की जनता ने भावुकता के साथ स्वीकार किया। स्थानीय मीडिया और सांस्कृतिक जगत में इस पहल की सराहना की जा रही है, जिसे भारतीय मूल के लोगों के लिए गर्व का विषय माना जा रहा है। कूटनीतिक संबंधों के साथ-साथ, यह पहल धार्मिक-सांस्कृतिक संवाद को नया आयाम देने वाली मानी जा रही है। प्रधानमंत्री मोदी की यह आध्यात्मिक सौगात भारत की सॉफ्ट पावर और सांस्कृतिक कूटनीति की एक सशक्त झलक मानी जा रही है, जिसने विदेशी भूमि पर भारतीय आस्था की उपस्थिति को गरिमा और गहराई के साथ अंकित किया है।

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