नई दिल्ली (शिखर समाचार) उत्तराखंड की स्थायी राजधानी को लेकर लंबे समय से चली आ रही चर्चाओं और जनभावनाओं को नई दिशा देते हुए स्थाई राजधानी गैरसैंण समिति ने गुरुवार को राजधानी दिल्ली में बड़े पैमाने पर आंदोलन करने का ऐलान किया। समिति के अनुसार यह संघर्ष 21 सितम्बर से जंतर मंतर से शुरू होगा, जहां एनसीआर समेत पूरे पहाड़ से जुड़े लोग शांतिपूर्ण तरीके से ढोल-दमाऊ के साथ धरना प्रदर्शन करेंगे और अपनी मांग सरकार तक पहुँचाएंगे।
उत्तराखंड की स्थायी राजधानी: 25 वर्षों से टलती मांग, गैरसैंण को बनाने की पुकार तेज
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में समिति के केंद्रीय संयोजक और पूर्व आईएएस अधिकारी विनोद प्रसाद रतूड़ी ने कहा कि उत्तराखंड की स्थापना का मूल उद्देश्य ही पहाड़ का समग्र विकास था, और उस समय से ही गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने की मांग उठती रही है। उन्होंने बताया कि भराड़ीसैंण में राजधानी के लिए विधानसभा भवन समेत तमाम अवसंरचना पर करोड़ों रुपये खर्च हो चुके हैं, लेकिन पिछले 25 वर्षों में भी राज्य की स्थायी राजधानी को लेकर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया।
विनोद प्रसाद ने कहा कि 21 सितम्बर को आयोजित धरना प्रदर्शन का मकसद आम जनता को इस मुद्दे पर जागरूक करना और पहाड़वासियों की एकजुट आवाज़ सरकार तक पहुंचाना है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह आंदोलन पूरी तरह गैर-राजनीतिक रहेगा और इसका उद्देश्य सिर्फ सामाजिक न्याय और राज्यहित है। इस मौके पर उत्तराखंड आंदोलन में शहीद हुए 42 लोगों को श्रद्धांजलि दी जाएगी, इसके बाद शांतिपूर्ण प्रदर्शन शुरू होगा।
स्थायी राजधानी गैरसैंण के लिए जोरदार संघर्ष: जंतर मंतर पर उत्तराखंडियों का बड़ा प्रदर्शन तय
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पूर्व सचिव उत्तराखंड विधानसभा जगदीश चंद्रा ने कहा कि अन्य राज्यों की तरह उत्तराखंड को भी स्थायी राजधानी मिलने का अधिकार है। पहाड़ के लोगों के साथ यह एक बड़ा अन्याय है कि अब तक गैरसैंण को स्थायी राजधानी नहीं बनाया गया। वहीं कमल ध्यानी ने दिल्ली एनसीआर में रह रहे उत्तराखंडियों से अपील की कि वे 21 सितम्बर को जंतर मंतर में पहुंचकर इस मांग को समर्थन दें। उनके अनुसार धरने में 6-7 हजार से अधिक लोग शामिल होने की संभावना है।
सामाजिक कार्यकर्ताओं और वकीलों ने बताया कि गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने के लिए केवल आंदोलन ही नहीं, बल्कि कानूनी रास्ते भी अपनाए जा रहे हैं। इसके लिए विशेष रूप से एक लीगल टीम हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में केस दायर करने की तैयारी कर रही है।
पहाड़वासियों की सामूहिक आवाज़: स्थायी राजधानी न बनने पर व्यापक आंदोलन का ऐलान
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प्रेस कॉन्फ्रेंस में सामाजिक कार्यकर्ता देवेन्द्र रतूड़ी, विजय डूंडी, आशाराम कुमेडी, महावीर सिंह फर्स्वाण, विपिन रतूड़ी, अधिवक्ता मायाराम बहुगुणा, रेखा भट्ट, विकास ढोंडियाल, सुनील जदली समेत कई अन्य लोग उपस्थित रहे। उन्होंने इस आंदोलन को पहाड़वासियों की सामूहिक आवाज़ और न्याय की लड़ाई बताते हुए कहा कि अब तक स्थायी राजधानी न बनने से पहाड़वासियों की भावनाओं के साथ अनदेखी की गई है, और इसे नजरअंदाज नहीं किया जाएगा।
यह आंदोलन न केवल दिल्ली में बल्कि पूरे उत्तराखंड में चरणबद्ध तरीके से विस्तारित किया जाएगा, जिससे सरकार पर पहाड़वासियों की मांग को गंभीरता से लेने का दबाव बनाया जा सके। इस प्रक्रिया में ढोल-दमाऊ और सांस्कृतिक प्रदर्शन भी शामिल होंगे, ताकि आंदोलन का स्वरूप पूरी तरह शांतिपूर्ण और जागरूकता बढ़ाने वाला रहे।