गाजियाबाद (शिखर समाचार)। भारतीय राजनीति के उन विरले चेहरों में शामिल स्वतंत्रता सेनानी, पद्म विभूषण से सम्मानित एवं भाजपा के संस्थापक महासचिव रहे सिकंदर बख्त की 106वीं जयंती आज भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा ने विशेष श्रद्धांजलि कार्यक्रम के रूप में मनाई। गाजियाबाद महानगर भाजपा कार्यालय से इसकी औपचारिक शुरुआत हुई और धीरे-धीरे यह अभियान दिल्ली समेत देश के तमाम प्रदेशों तक फैल गया। कार्यक्रम की अगुवाई राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीक़ी ने की, जिनकी मौजूदगी में दर्जनों कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने सिकंदर बख्त के चित्र पर पुष्प अर्पित किए और उन्हें नमन किया।
सिकंदर बख्त की 106वीं जयंती पर भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा ने श्रद्धांजलि सभा में उनके योगदान को याद किया
श्रद्धांजलि सभा में भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष कुंवर बासित अली, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष चौधरी जाकिर हुसैन, राष्ट्रीय कार्यालय प्रभारी एसएम अकरम, प्रदेश मंत्री डॉ. असलम और तरनदीप सिंह ग्रोवर सहित गाजियाबाद महानगर अध्यक्ष बलप्रीत सिंह, रिजवान मीर तथा पार्टी के अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी भी मौजूद रहे। पूरे समारोह के दौरान वातावरण गंभीर किंतु प्रेरणादायी रहा और कार्यकर्ताओं ने सिकंदर बख्त के योगदान को याद करते हुए ‘उनकी सोच, उनकी निष्ठा और उनकी राष्ट्र सेवा’ को आदर्श बताया।
सिकंदर बख्त: भाजपा के मजबूत स्तंभ और पद्म विभूषण से सम्मानित राष्ट्रसेवी
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राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीक़ी ने अपने संबोधन में कहा कि सिकंदर बख्त केवल एक राजनेता नहीं बल्कि भारतीय जनता पार्टी की जड़ों को मजबूत करने वाले स्तंभ थे। 1980 में पार्टी की स्थापना के समय उन्हें महासचिव बनाया गया और 1984 तक वह उपाध्यक्ष पद तक पहुंच गए। उस दौर में वह भाजपा का सबसे प्रभावी मुस्लिम चेहरा माने जाते थे। आगे चलकर अटल बिहारी वाजपेयी की 13 दिन की सरकार में उन्हें विदेश मंत्री की अहम जिम्मेदारी मिली। 1990 में वह राज्यसभा पहुंचे और 1992 में विपक्ष के नेता चुने गए। बाद के वर्षों में उनकी सेवाओं को देखते हुए केंद्र सरकार ने उन्हें 2000 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया। 2002 में उन्हें केरल का राज्यपाल नियुक्त किया गया और 23 फरवरी 2004 को उनका निधन हो गया।
सिकंदर बख्त का जीवन भाजपा के लिए प्रेरणा स्रोत, राष्ट्रीयता और सर्वधर्म समभाव का संदेश
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सभा में मौजूद वक्ताओं ने कहा कि सिकंदर बख्त का जीवन भाजपा के इतिहास का स्वर्णिम अध्याय है। उनकी सोच में राष्ट्रीयता और सर्वधर्म समभाव का गहरा समावेश था। यही कारण है कि उनकी स्मृतियां आज भी पार्टी कार्यकर्ताओं को प्रेरित करती हैं और नई पीढ़ी के लिए मार्गदर्शक बनी हुई हैं। श्रद्धांजलि सभा का समापन सभी कार्यकर्ताओं द्वारा उनके पदचिन्हों पर चलने और समाज के हर वर्ग तक पार्टी की विचारधारा पहुंचाने के संकल्प के साथ किया गया।
