शरद पूर्णिमा महोत्सव में हनुमान बाबा की रसिक उपदेश कला ने मोह लिया भक्तों का मन

Rashtriya Shikhar
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On Sharad Purnima Festival, Hanuman Baba's Rasik Updesh Art Captivates Devotees IMAGE CREDIT TO REPORTER

मनीष गोयल
बरसाना (शिखर समाचार)।
ब्रजधाम के हृदयस्थल बरसाना में ब्रह्मचारी बगीची, रुप नगर रोड, विकसौली में शरद पूर्णिमा महोत्सव का भव्य आयोजन किया गया, जिसे स्थानीय स्तर पर ‘शरदोत्सव’ के नाम से जाना गया। इस शुभ अवसर पर हनुमान बाबा ने अपने अनोखे और रसपूर्ण उपदेशों तथा भजनों से उपस्थित श्रद्धालुओं के हृदय को पूर्णतः स्पर्श किया।

कान्हा की लीला से ओत-प्रोत हनुमान बाबा का भव्य गायन: भक्तों को भावविभोर करने वाले भजनों ने समां बांधा

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कार्यक्रम के दौरान बाबा ने कान्हा की लीला और रास के भावों से ओत-प्रोत पदों का गायन किया। उनके मुख से निकले “कान्हा कुँवर के कर पल्लव पर, मानो गोवर्धन नृत्य करत है”, “रास मध्य राधे राह्यो, मुरली में येई रट, नंददास गावे तहां निपट निकट” और “परम धन राधा नाम आधार, याहे श्याम मुरली में टेरत सुमिरत बारम बार” जैसे पदों ने पंडाल में मौजूद भक्तों को भावविभोर कर दिया। हनुमान बाबा के मधुर स्वर और भावनाओं से भरे भजन संकीर्तन ने समूचे वातावरण को अलौकिक और दिव्य बना दिया।

शरद पूर्णिमा की रात प्रभु गोपीनाथ की दिव्य झांकी और भजन संध्या ने महोत्सव की भव्यता को और भी प्रखर कर दिया। भक्तजन देर रात तक ‘राधे-कृष्ण’ के नाम संकीर्तन में मग्न रहे। आयोजकों का कहना था कि यह महोत्सव ब्रज संस्कृति और भक्ति भाव को समर्पित था, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लेकर इसे यादगार बना दिया। शनिवार की इस भव्य शाम ने भक्तों के हृदय में राधा-कृष्ण के प्रति प्रेम और भक्ति की मधुर स्मृतियों को हमेशा के लिए बसाकर रख दिया। शरदोत्सव ने यह संदेश भी दिया कि भक्ति और संगीत की शक्ति से जीवन में आध्यात्मिक आनंद और सामूहिक श्रद्धा का अनुभव कितनी गहराई से हो सकता है।

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