गुरुग्राम (शिखर समाचार) संसद के मानसून सत्र से पहले गुरुवार को गुरुग्राम में आयोजित शहरी स्थानीय निकायों के राष्ट्रीय सम्मेलन के मंच से Lok Sabha Speaker Om Birla ने बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि अब वक्त आ गया है जब सदन की कार्यवाही में व्यवधान को पुरानी राजनीति की गलियों में छोड़ देना चाहिए। लोकतंत्र की बुनियाद बहस से मजबूत होती है, बाधा से नहीं।
उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि जनता अब समझदार है, वह उन दलों को पहचानने लगी है
बिरला ने कहा कि 18वीं लोकसभा की शुरुआत से ही माहौल कुछ बदला-बदला है। जहां पहले पर्चे फाड़े जाते थे और नारे गूंजते थे, अब दलों ने यह सोचना शुरू कर दिया है कि संसद चलने दी जानी चाहिए। उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि जनता अब समझदार है, वह उन दलों को पहचानने लगी है जो बहस से भागते हैं और हंगामा करते हैं।
उन्होंने स्पष्ट किया कि लोकतांत्रिक संस्थाएं तभी मजबूत होंगी जब वे जवाबदेह होंगी, और जवाबदेही तभी संभव है जब सदन चले। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से अपील की कि वे निचले सदन की मर्यादा को बनाए रखें और रचनात्मक संवाद को बढ़ावा दें।
संसद का आगामी मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होकर 21 अगस्त तक चलेगा, जो कि पहले की योजना से एक सप्ताह लंबा होगा।
बिरला ने नगर निगमों और शहरी स्थानीय संस्थाओं की कार्यप्रणाली पर भी बात की। उन्होंने सुझाव दिया कि यदि लोकसभा में प्रश्नकाल और शून्यकाल होते हैं, तो वही पारदर्शिता और जवाबदेही नगर निकायों में क्यों नहीं लाई जा सकती? आठ घंटे की बैठकें हों, सवाल-जवाब हों, बहस हो यही सच्चे लोकतंत्र की पहचान है।
महिला नेतृत्व की बात करते हुए अध्यक्ष ने कहा कि आने वाले वर्षों में संसद और विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा। उन्होंने शहरी निकायों से अपील की कि वे महिला नेतृत्व को आगे लाएं, क्योंकि यहीं से भविष्य की नेता तैयार होती हैं।

बिरला ने अपने संबोधन के अंत में इतिहास का हवाला देते हुए कहा कि सरदार वल्लभभाई पटेल ने भी अहमदाबाद नगर निगम से अपना राजनीतिक सफर शुरू किया था। यानी नगर निकाय सिर्फ स्थानीय शासन का हिस्सा नहीं, बल्कि राष्ट्रीय नेतृत्व की नर्सरी हैं।