New Policy Direction on Incurable Diseases: सस्ती दवाओं और समावेशी स्वास्थ्य व्यवस्था पर केंद्र का फोकस

Rashtriya Shikhar
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New Policy Direction on Incurable Diseases: Centre Focuses on Affordable Medicines and Inclusive Healthcare System IMAGE CREDIT TO PIB

नई दिल्ली (शिखर समाचार)।
रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के औषधि विभाग के सचिव अमित अग्रवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री के आह्वान के अनुरूप भारत को वैश्विक कल्याण के लिए सस्ती और प्रभावी दवाओं के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभानी होगी। वे फिक्की सभागार में आयोजित असाध्य रोग सम्मेलन 2025 के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। इस वर्ष का विषय था विशेष देखभाल को संभव बनाना

भारत बनेगा असाध्य रोगों की सस्ती और प्रभावी दवाओं का वैश्विक केंद्र: अमित अग्रवाल

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अमित अग्रवाल ने कहा कि असाध्य बीमारियां दिखने में दुर्लभ हो सकती हैं, लेकिन यह हर 20 में से एक व्यक्ति यानी लगभग 5% आबादी को प्रभावित करती हैं। ऐसे में यह केवल चिकित्सा चुनौती नहीं, बल्कि एक मानवीय और सामाजिक समावेशन का मुद्दा है।

उन्होंने प्रधानमंत्री के समावेशी दृष्टिकोण और स्वतंत्रता दिवस के संबोधन का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत दुनिया की फार्मेसी के रूप में जाना जाता है और अब समय है कि अनुसंधान एवं विकास में बड़े पैमाने पर निवेश करते हुए मानवता के लिए सबसे अच्छी और सबसे किफायती दवाएं उपलब्ध कराई जाएं।

PLI योजना से असाध्य रोगों की दवाएं हुईं सस्ती, एलिग्लस्टैट की कीमत में आई 98% तक गिरावट

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औषधि सचिव ने बताया कि फार्मास्यूटिकल्स के लिए उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना के अंतर्गत असाध्य रोगों को प्राथमिकता दी गई है। इस पहल से आठ दवाओं को समर्थन मिला है। उदाहरण के तौर पर, गौचर रोग के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा एलिग्लस्टैट की वार्षिक लागत 1.8-3.6 करोड़ रुपये से घटकर मात्र 3-6 लाख रुपये रह गई है।

इसी तरह विल्सन रोग के लिए ट्राइएंटाइन, टायरोसिनेमिया टाइप-1 के लिए निटिसिनोन और लेनोक्स-गैस्टॉट सिंड्रोम के लिए कैनाबिडियोल जैसी दवाओं को भी शामिल किया गया है। अमित अग्रवाल ने कहा कि यह उदाहरण बताता है कि लक्षित नीतिगत हस्तक्षेप किस तरह जीवन बदल सकते हैं।

CSR पहलों में असाध्य रोगों को दें प्राथमिकता, इलाज का बोझ तोड़ देता है परिवारों को: औषधि सचिव

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उन्होंने उद्योग जगत से अपील की कि कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) पहलों और रोगी सहायता कार्यक्रमों में असाध्य रोगों से पीड़ित मरीजों को शामिल किया जाए। क्योंकि इनके इलाज का वित्तीय और भावनात्मक बोझ अक्सर परिवारों को तोड़ देता है।

अमित अग्रवाल ने सभी हितधारकों को यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि नीतियां, नियम और वित्तपोषण मॉडल समावेशी दृष्टिकोण से तैयार किए जाएं। साथ ही उन्होंने विशेष नियामक छूट और लक्षित उपायों पर भी विचार करने का सुझाव दिया।

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