ग्रेटर नोएडा (शिखर समाचार)। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नवाचार और अनुसंधान को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से शारदा विश्वविद्यालय ने नॉलेज पार्क स्थित अपने केंद्रीय उपकरण सुविधा केंद्र में परमाणु स्पेक्ट्रोस्कोपी तकनीकों पर दो दिवसीय कार्यशाला का सफल आयोजन किया। यह कार्यशाला शोधकर्ताओं और शिक्षाविदों के लिए न केवल एक साझा मंच बनी बल्कि प्रयोगात्मक विज्ञान की नई संभावनाओं की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण पहल भी साबित हुई।
परमाणु स्पेक्ट्रोस्कोपी कार्यशाला
इस विशेष कार्यशाला में गलगोटिया विश्वविद्यालय, एमिटी विश्वविद्यालय, आईसीएआर-भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल सहित शारदा विश्वविद्यालय के स्नातक, स्नातकोत्तर, डॉक्टरेट शोधार्थियों और संकाय सदस्यों ने सक्रिय भागीदारी की। प्रशिक्षण सत्रों में प्रतिभागियों को खाद्य सुरक्षा, कृषि, औषधि निर्माण और रासायनिक विश्लेषण जैसे क्षेत्रों में परमाणु स्पेक्ट्रोस्कोपी तकनीक के वास्तविक उपयोगों से परिचित कराया गया।
उद्घाटन सत्र में विश्वविद्यालय के डीन रिसर्च डॉ. भुवनेश कुमार ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 अनुसंधान को वैश्विक स्तर तक ले जाने का अवसर प्रदान करती है और इस तरह की कार्यशालाएं शोधकर्ताओं को व्यावहारिक प्रशिक्षण देकर वैज्ञानिक उत्कृष्टता को मजबूती देती हैं। तकनीकी सत्रों का नेतृत्व कर रहे डॉ. अतुल कुमार गुप्ता ने प्रतिभागियों को उपकरणीकरण और विश्लेषण की गहन जानकारी दी तथा प्रयोगशालाओं में वास्तविक अभ्यास कराया।
डॉ. सिबाराम खारा ने युवाओं को दिया शोध और नवाचार के पथ पर बढ़ने का प्रोत्साहन
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समापन सत्र में वाइस चांसलर डॉ. सिबाराम खारा ने प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित करते हुए कहा कि शोध और नवाचार ही आधुनिक समाज की प्रगति की कुंजी हैं। उन्होंने युवा शोधकर्ताओं की प्रतिबद्धता की सराहना की और उन्हें वैज्ञानिक उन्नति के पथ पर निरंतर आगे बढ़ने का आह्वान किया।
इस अवसर पर जीवन विज्ञान विभाग के प्रमुख डॉ. संतोष कुमार मिश्रा और रसायन एवं जैव रसायन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अनुपम अग्रवाल भी उपस्थित रहे। दो दिवसीय यह कार्यशाला शारदा विश्वविद्यालय की उस दृष्टि को प्रतिबिंबित करती है जिसमें सैद्धांतिक ज्ञान को प्रयोगात्मक अनुभव से जोड़कर बहुविषयी शोध का सशक्त मंच तैयार किया जा रहा है।