ग्रेटर नोएडा (शिखर समाचार)
एमिटी विश्वविद्यालय के प्रांगण में भारतीय विश्वविद्यालय संघ (AIU) के सौ वर्षों की उपलब्धियों को समर्पित दो दिवसीय राष्ट्रीय कुलपति सम्मेलन की शुरुआत भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने दीप प्रज्वलन के साथ की। यह आयोजन न केवल भारतीय उच्च शिक्षा के भविष्य की दिशा तय करने का मंच बना, बल्कि शिक्षा में मूलभूत परिवर्तन की आवश्यकता और विश्वविद्यालयों की भूमिका पर भी गंभीर विमर्श का केंद्र रहा।
उपराष्ट्रपति ने अपने संबोधन की शुरुआत एक विनम्र विद्यार्थी की तरह करते हुए कहा
उपराष्ट्रपति ने अपने संबोधन की शुरुआत एक विनम्र विद्यार्थी की तरह करते हुए की और कहा कि इतने विद्वानों और शिक्षाविदों के समक्ष खड़े होकर वे स्वयं को एक छात्र की तरह अनुभव कर रहे हैं। उन्होंने एमिटी विश्वविद्यालय की वैश्विक प्रतिष्ठा की सराहना करते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को भारत की शिक्षा क्रांति का आधारस्तंभ बताया।
उन्होंने कहा कि शिक्षा वह शक्ति है जो असमानता को मिटा सकती है और लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत करती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति केवल एक दस्तावेज नहीं, बल्कि एक आंदोलन है, जिसने भारत को अवसरों, नवाचार, स्टार्टअप और यूनिकॉर्न की भूमि के रूप में स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई है।
इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि अब समय आ गया है
इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि अब समय आ गया है कि हमारे विश्वविद्यालय केवल डिग्रियों के वितरक न बनें, बल्कि वे विचारों, कल्पनाओं और नवाचार के तीर्थस्थल बनें। उन्होंने जोर देकर कहा कि शैक्षणिक संस्थानों को उन क्षेत्रों में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए, जहां वैश्विक भविष्य आकार ले रहा है जैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता, जलवायु प्रौद्योगिकी, डिजिटल नैतिकता और क्वांटम विज्ञान।
अपने विचारों को विस्तार देते हुए उन्होंने कहा कि भारत को अब ज्ञान के मामले में पश्चिमी देशों के अनुयायी की भूमिका से आगे बढ़कर नेतृत्वकारी भूमिका में आना होगा। जब हमारे पास नालंदा और तक्षशिला जैसे शिक्षा के गौरवशाली प्रतीक रहे हैं, तो आज भारत क्यों न वैश्विक शिक्षा मानकों का निर्माणकर्ता बने?
इस ऐतिहासिक सम्मेलन में यूपी के आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्री सुनील कुमार शर्मा
इस ऐतिहासिक सम्मेलन में यूपी के आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्री सुनील कुमार शर्मा, गौतमबुद्धनगर के सांसद डॉ. महेश शर्मा, AIU के अध्यक्ष डॉ. विनय कुमार पाठक और एमिटी के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार चौहान सहित अनेक शिक्षा जगत की प्रतिष्ठित हस्तियों की उपस्थिति रही।
डॉ. चौहान ने उपराष्ट्रपति का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस आयोजन से देशभर के विश्वविद्यालयों के बीच सहयोग और रणनीतिक साझेदारी को नई दिशा मिलेगी। वहीं एआईयू अध्यक्ष डॉ. पाठक ने बताया कि पिछले एक दशक में शिक्षा क्षेत्र में 60 प्रतिशत से अधिक की प्रगति हुई है और नीति के चलते शोध और पेटेंट की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है।
इसके आधार पर एक कार्य योजना तैयार की जाएगी
सम्मेलन में राष्ट्रवाद को शिक्षा में समाहित करने, उभरती प्रौद्योगिकियों को पाठ्यक्रम में जोड़ने, साइबर सुरक्षा, डेटा गोपनीयता और अंतरराष्ट्रीयकरण जैसे विविध विषयों पर गहन विचार-विमर्श किया जाएगा। इसके आधार पर एक कार्य योजना तैयार की जाएगी, जिसे देशभर के राज्यपालों, मंत्रालयों और शीर्ष शिक्षा निकायों को भेजा जाएगा।
सम्मेलन की शुरुआत उपराष्ट्रपति द्वारा एक पेड़ माँ के नाम पहल के अंतर्गत पौधरोपण से हुई, जो पर्यावरण और भावनात्मक जुड़ाव का एक सुंदर प्रतीक बना। कार्यक्रम के अंत में राज्यसभा सांसद डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने शिक्षा संस्थानों में राष्ट्रवाद की भूमिका विषय पर अपने विचार रखते हुए इसे भारतीय आत्मा से जोड़ने की जरूरत पर बल दिया।

यह आयोजन भारतीय शिक्षा प्रणाली को वैश्विक मंच पर सशक्त उपस्थिति दिलाने की दिशा में एक निर्णायक कदम के रूप में देखा जा रहा है, जो आने वाले वर्षों में नीति निर्धारण से लेकर संस्थागत नवाचार तक कई बदलावों की नींव रखेगा।