सनातन संस्कृति की रक्षा हेतु Narayani Sena का हुंकार, 1 अगस्त को वृंदावन से दिल्ली तक निकलेगी जागृति पदयात्रा

Rashtriya Shikhar
4 Min Read
Narayani Sena’s Roar to Protect Sanatan Culture IMAGE CREDIT TO NARAYANI NAYAS

वृंदावन (शिखर समाचार)
ठाकुर श्री बांके बिहारी मंदिर के समीप नारायणी सेना की विशेष बैठक राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पंडित सोहन मिश्र की अध्यक्षता में संपन्न हुई, जिसमें सनातन संस्कृति की वर्तमान स्थिति को लेकर गहन मंथन किया गया। इस विचार-विमर्श में सेना प्रमुख आचार्य रामानुज एडवोकेट, गोविंद बल्लभ गौतम, जिला प्रमुख सुमित मिश्र, जिला प्रभारी दीपक पाराशर और जिला महासचिव किशोर मिश्र भी शामिल रहे। बैठक का केंद्र बिंदु भारतीय संस्कृति, गौ माता, मां यमुना, न्याय प्रणाली और मंदिरों की स्थिति को लेकर राष्ट्र के शीर्ष नेतृत्व को सीधी आवाज़ पहुंचाना रहा।

नारायणी सेना की पदयात्रा: सामाजिक जागृति और न्याय के लिए निर्णायक संघर्ष

ALSO READ:https://www.bhaskar.com/local/uttar-pradesh/ghaziabad/news/ghaziabad-has-been-facing-power-crisis-for-last-one-and-half-month-135534745.html

बैठक में निर्णय लिया गया कि नारायणी सेना 1 अगस्त को वृंदावन से दिल्ली तक भारत अलख जागृति पदयात्रा का नेतृत्व करेगी, जिसका उद्देश्य महामहिम राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपना और सर्वोच्च न्यायालय को प्रार्थना पत्र भेजना है। यह पदयात्रा सिर्फ एक सांकेतिक विरोध नहीं, बल्कि एक अध्यात्मिक चेतना की चिंगारी है, जो समाज को जगाने और शासन को झकझोरने की भावना से प्रेरित है।

नारायणी सेना ने प्रधानमंत्री के नाम लिखे पत्र में स्पष्ट किया कि 12 अगस्त 2020 से लेकर अब तक विभिन्न माध्यमों से मांगों को रखा गया क्रमिक अनशन, आमरण अनशन, हस्ताक्षर अभियान और कई ज्ञापनों के माध्यम से। कई बार शासन ने आश्वासन दिया और कुछ प्रयास भी हुए, जिनके लिए आभार भी प्रकट किया गया, लेकिन व्यापक समाधान के अभाव में यह आंदोलन अब निर्णायक मोड़ पर है।

गौ रक्षा से सनातन राष्ट्र तक: नारायणी सेना की प्रमुख मांगें और संकल्प

ALSO READ:https://rashtriyashikhar.com/greater-noida-clears-illegal-encroachments/

मांगों में प्रमुख रूप से देशभर में गौ हत्या पर पूर्ण प्रतिबंध लगाकर गौ माता को राष्ट्र गौरव और राष्ट्र माता घोषित करने की अपील की गई है। साथ ही, मां यमुना की दुर्दशा को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए हथिनी कुंड से स्वच्छ जल छोड़ने की योजना और दिल्ली-आगरा के बीच समांतर नालों के निर्माण की मांग की गई है ताकि नालियों का गंदा जल मां यमुना में न गिरे और श्रीधाम वृंदावन की पावनता बनी रहे।

नारायणी सेना ने भारत को सनातन राष्ट्र घोषित करने की भी मांग रखी, यह कहते हुए कि 1947 का विभाजन एक सुनियोजित साजिश थी और आज भी हिंदुओं को कई राज्यों में पलायन के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। साथ ही मठ, मंदिर, गुरुकुल व ब्राह्मणों की स्वतंत्रता और संरक्षण के लिए विश्व सनातन ट्रस्ट बोर्ड के गठन की भी मांग की गई, जो पुजारियों और आचार्यों के वेतन, मंदिरों की प्रसादी और धर्मशालाओं के प्रबंधन को सुनिश्चित करे।

न्याय व्यवस्था से लेकर वृंदावन संरक्षण तक: नारायणी सेना की व्यापक मांगें और सामाजिक सुधार की पुकार

ALSO READ:https://rashtriyashikhar.com/jkg-school-held-health-camp-with-ptm/

न्याय प्रणाली की बिगड़ती स्थिति पर भी नारायणी सेना ने रोष जताया और उदाहरण स्वरूप मथुरा में हुई एक पीड़ादायक घटना को रखा, जहाँ महीनों बाद भी एफआईआर दर्ज नहीं हो सकी। इसे न्याय प्रणाली की हत्या कहा गया है।

इसके अतिरिक्त श्री बांके बिहारी कॉरिडोर को लेकर सेना ने विरोध दर्ज कराया और संपूर्ण वृंदावन क्षेत्र के सौंदर्यकरण, सप्तदेवालयों के संरक्षण तथा हरिद्वार की तर्ज पर कृष्ण पौड़ी के निर्माण की मांग रखी। साथ ही यमुना किनारे पड़ी सरकारी भूमि पर तुलसी वन, नवग्रह वाटिका, पार्किंग और सुंदर उद्यानों की स्थापना की योजना प्रस्तुत की गई। नारायणी सेना ने सभी गौ भक्तों, यमुना भक्तों, साधु-संतों और राष्ट्रप्रेमियों से 1 अगस्त की इस ऐतिहासिक पदयात्रा में भाग लेने का आग्रह करते हुए कहा कि अब समय आ गया है जब शब्द नहीं, संकल्प यात्रा निकाली जाए। नारायणी सेना का स्पष्ट संदेश है धर्म रहेगा तभी राष्ट्र बचेगा, और राष्ट्र बचेगा तभी संस्कृति जीवित रहेगी।

Share This Article
Leave a comment