गाजियाबाद (शिखर समाचार)
भारत के पहले आरआरटीएस कॉरिडोर नमो भारत ने एक और बड़ी उपलब्धि अपने नाम कर ली है। NCRTC द्वारा सराय काले खां से मोदीपुरम के बीच पूरे 82 किलोमीटर लंबे रूट पर ट्रेनों का समय-सारिणी के अनुसार ट्रायल रन सफलता के साथ संपन्न किया गया, और वह भी एक घंटे से कम समय में। यह महज़ ट्रायल नहीं था, बल्कि एक ऐसा परीक्षण था जिसने पूरे सिस्टम की तैयारी, विश्वस्तरीय तकनीक और परिचालन सटीकता को धरातल पर सिद्ध कर दिखाया।
यह देश में पहली बार हो रहा है कि एक ही कोर सिस्टम पर
इस ट्रायल के दौरान नमो भारत ट्रेनें अपनी अधिकतम ऑपरेटिंग स्पीड 160 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंचीं, और सभी निर्धारित स्टेशनों पर ठहराव लेते हुए पूरे रूट को तय किया। खास बात यह रही कि इस दौरान मेरठ मेट्रो की ट्रेनों को भी समान इन्फ्रास्ट्रक्चर पर चलाया गया और दोनों सेवाओं ने एक-दूसरे के संचालन में बिना किसी रुकावट के तालमेल बिठाया। यह देश में पहली बार हो रहा है कि एक ही कोर सिस्टम पर इंटरसिटी और सिटी मेट्रो दोनों सेवाएं एक साथ संचालित की जा रही हैं।
मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पुनीत वत्स ने बताया कि नमो भारत कॉरिडोर पर दुनिया की सबसे आधुनिक सिग्नलिंग तकनीक ईटीसीएस लेवल 3 हाइब्रिड सिग्नलिंग सिस्टम, जो एलटीई नेटवर्क पर आधारित है, का पहली बार सफल लाइव उपयोग किया गया। इस दौरान प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर्स (PSD) भी हर स्टेशन पर ठीक समय पर खुले और बंद हुए, और पूरे सिस्टम ने एकीकृत रूप से संचालन किया। यह न सिर्फ तकनीकी रूप से एक बड़ी छलांग है, बल्कि यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा की दृष्टि से भी एक बड़ी कामयाबी मानी जा रही है।
ट्रायल रन और अन्य फिनिशिंग कार्य तेजी से प्रगति पर हैं
वर्तमान में 11 स्टेशनों के साथ कॉरिडोर का 55 किलोमीटर हिस्सा पहले से ही यात्रियों के लिए खोला जा चुका है। वहीं बाकी का हिस्सा दिल्ली में सराय काले खां से न्यू अशोक नगर तक और मेरठ में मेरठ साउथ से मोदीपुरम तक अंतिम चरणों में है। ट्रायल रन और अन्य फिनिशिंग कार्य तेजी से प्रगति पर हैं। एनसीआरटीसी द्वारा यह ट्रायल रन दरअसल पूरे कॉरिडोर के फुल कमीशनिंग की उल्टी गिनती की शुरुआत है।
उधर मेरठ मेट्रो के 23 किलोमीटर लंबे रूट पर, जिसमें 13 स्टेशन हैं, 18 किलोमीटर हिस्सा एलिवेटेड और 5 किलोमीटर अंडरग्राउंड है। इसका ट्रायल रन भी तीव्र गति से आगे बढ़ रहा है। देश में यह पहला अवसर है जब हाई-स्पीड आरआरटीएस ट्रैक पर लोकल मेट्रो सेवा को भी समानांतर रूप से जोड़ा जा रहा है।
NCRTC का यह ऐतिहासिक परीक्षण न केवल दिल्ली-एनसीआर बल्कि पूरे भारत के लिए एक तकनीकी मील का पत्थर है, जो भविष्य के सार्वजनिक परिवहन की दिशा तय करने जा रहा है।