नई दिल्ली (शिखर समाचार) राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) ने पर्यावरण संरक्षण और ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाते हुए 110 मेगावाट क्षमता वाले सौर ऊर्जा संयंत्र की स्थापना के लिए निविदाएं आमंत्रित की हैं। यह संयंत्र उत्तर प्रदेश के किसी भी हिस्से में लगाया जा सकता है और इससे दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ नमो भारत कॉरिडोर की कुल बिजली जरूरत का लगभग 60 प्रतिशत हिस्सा पूरा होगा।
“कैप्टिव पावर से चलेगा रैपिड रेल कॉरिडोर
एनसीआरटीसी के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी ने बताया कि यह परियोजना कैप्टिव मोड में स्थापित होगी, यानी इस संयंत्र से उत्पन्न बिजली का उपयोग केवल कॉरिडोर के लिए किया जाएगा। 82 किलोमीटर लंबे इस कॉरिडोर में ट्रेनों के संचालन, स्टेशनों, डिपो और अन्य तकनीकी ढांचे पर हर महीने भारी बिजली खर्च होता है, जो कुल परिचालन लागत का लगभग एक तिहाई है। इस नई पहल से ऊर्जा पर होने वाले खर्च में उल्लेखनीय कमी आएगी और संचालन और अधिक किफायती बनेगा।
संगठन का लक्ष्य आने वाले वर्षों में अपनी कुल ऊर्जा खपत का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा सौर ऊर्जा से हासिल करना है। इसके लिए कॉरिडोर पर पहले से 15 मेगावाट क्षमता वाले रूफटॉप सौर प्लांट लगाने की योजना है। वहीं, नया 110 मेगावाट का संयंत्र स्थापित होते ही कुल जरूरत का 60 प्रतिशत हिस्सा नवीकरणीय स्रोतों से पूरा किया जा सकेगा।
सौर ऊर्जा से हर साल बचेगा 1.77 लाख टन CO₂
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विशेषज्ञों के अनुसार इस परियोजना से हर साल करीब 1,77,000 टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी आएगी। यह न केवल जलवायु परिवर्तन से जूझने में महत्वपूर्ण योगदान देगा बल्कि वायु प्रदूषण पर भी नियंत्रण पाने में मददगार साबित होगा। चूंकि सौर ऊर्जा से बिजली उत्पादन में नाइट्रोजन ऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड जैसे हानिकारक तत्व नहीं निकलते, इसलिए यह शहरी क्षेत्रों में प्रदूषण घटाने का भी एक प्रभावी उपाय है।
एनसीआरटीसी इस परियोजना को उत्तर प्रदेश राज्य ग्रिड से जोड़ेगा। इसके बाद कॉरिडोर के रिसीविंग-सब स्टेशनों तक सीधी आपूर्ति सुनिश्चित होगी और वहां से ट्रेनों व स्टेशनों की ऊर्जा जरूरतें पूरी की जाएंगी। परियोजना के लिए एक अनुभवी डेवलपर का चयन करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।

यह कदम भारत सरकार के राष्ट्रीय सौर मिशन और हरित ऊर्जा नीति के अनुरूप है। साथ ही यह शहरी परिवहन और पर्यावरणीय स्थिरता के बीच सामंजस्य स्थापित करने का एक आदर्श उदाहरण भी बनेगा। एनसीआरटीसी का कहना है कि भविष्य का परिवहन तभी टिकाऊ और लाभकारी होगा, जब वह स्वच्छ ऊर्जा से संचालित हो, और यह पहल उसी दिशा में एक मजबूत आधारशिला है।