हापुड़/पिलखुवा (शिखर समाचार)
सरस्वती सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल हापुड़ ने रेस्पिरेटरी मेडिसिन के क्षेत्र में एक उल्लेखनीय चिकित्सा उपलब्धि दर्ज की है। अस्पताल की विशेषज्ञ टीम ने 58 वर्षीय बाल किशन पर पहली बार मेडिकल थोराकोस्कोपी प्रक्रिया को पूरी सफलता के साथ सम्पन्न किया। यह उपलब्धि न केवल अस्पताल की तकनीकी क्षमता को दर्शाती है बल्कि आसपास के जिलों के उन मरीजों के लिए भी राहत भरी खबर है, जो गंभीर फेफड़ों के रोगों में बड़े शहरों की ओर रुख करने को मजबूर थे।
सांस की गंभीर समस्या का रास्ता खुला — मल्टी-सेप्टेटेड प्लूरल इफ्यूज़न में मेडिकल थोराकोस्कोपी का सहारा
बाल किशन पिछले पंद्रह वर्षों से सांस फूलने और लगातार खांसी की समस्या से परेशान थे। बीते दस दिनों में हालत बिगड़ने पर उन्हें तेज बुखार और बाईं ओर छाती में तेज दर्द की शिकायत भी हुई। प्रारंभिक एक्स-रे में प्लूरल इफ्यूज़न की पुष्टि हुई, लेकिन फ्लूड जांच से बीमारी की प्रकृति स्पष्ट नहीं हो सकी। इसके बाद किए गए अल्ट्रासाउंड में मल्टी-सेप्टेटेड और जटिल प्लूरल इफ्यूज़न नजर आया, जिससे एम्पायमा या गंभीर एक्सयूडेटिव इफ्यूज़न की आशंका बढ़ गई। इसी स्थिति में स्पष्ट निदान के लिए मेडिकल थोराकोस्कोपी का निर्णय लिया गया।
प्रक्रिया के दौरान चिकित्सकों ने फेफड़े की झिल्ली (प्लूरा) का प्रत्यक्ष निरीक्षण करते हुए उच्च गुणवत्ता वाली बायोप्सी प्राप्त की। यह minimally invasive तकनीक पारंपरिक सर्जरी की तुलना में अधिक सुरक्षित, कम दर्ददायक और तेजी से मरीज को स्वस्थ करने वाली मानी जाती है। बायोप्सी रिपोर्ट मिलते ही मरीज के उपचार की दिशा स्पष्ट हो गई और उन्हें तुरंत राहत मिलने लगी।
हापुड़ में फेफड़ों के जटिल रोगों का उन्नत इलाज अब स्थानीय स्तर पर संभव
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इस सफलता से हापुड़, पिलखुवा, गाजियाबाद, मेरठ सहित पूरे क्षेत्र के मरीजों के लिए उपचार का नया द्वार खुला है। फेफड़ों के जटिल रोग जैसे प्लूरल इफ्यूज़न, एम्पायमा, टीबी से जुड़े प्लूरल रोग और मैलिग्नेंट इफ्यूज़न का उन्नत इलाज अब स्थानीय स्तर पर ही संभव हो सकेगा। इससे न केवल समय और धन की बचत होगी, बल्कि मरीज गंभीर अवस्था में सफर करने की परेशानी से भी बच सकेंगे।
मेडिकल थोराकोस्कोपी खासकर उन मामलों में अत्यंत लाभकारी है, जिनमें प्लूरल इफ्यूज़न का कारण स्पष्ट नहीं होता, टीबी की पुष्टि करनी होती है, प्लूरल थिकेनिंग दिखाई देती है, या CT/USG रिपोर्ट स्पष्ट न हो सके। इस तकनीक की उपलब्धता ने अस्पताल को क्षेत्र में जटिल फेफड़ा रोगों के निदान और उपचार का अत्याधुनिक केंद्र बना दिया है।
विशेषज्ञ टीम की कड़ी मेहनत से पूरी हुई जटिल मेडिकल प्रक्रिया, सुरक्षा और प्रभावशीलता का नया मानक स्थापित
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इस महत्वपूर्ण प्रक्रिया को सफल बनाने वाली चिकित्सा टीम में शामिल रहे जिसमें डॉ. शुभेन्दु गुप्ता (प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, रेस्पिरेटरी मेडिसिन), डॉ. विवेक गौतम (असिस्टेंट प्रोफेसर), डॉ. ऋषि राणा (असिस्टेंट प्रोफेसर), डॉ. धनंजय (पीजी), डॉ. अतुल (पीजी) और डॉ. अनुर्वद (पीजी) टीम ने उच्च स्तर के समन्वय, विशेषज्ञता और जिम्मेदारी के साथ प्रक्रिया को बेहद सुरक्षित और प्रभावी ढंग से पूरा किया।
अस्पताल प्रबंधन ने इस उपलब्धि पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए चिकित्सा टीम को बधाई दी। हॉस्पिटल के चिकित्साध्यक्ष मेजर जनरल (डॉ.) चरणजीत सिंह अहलूवालिया, जनरल मैनेजर एन. वर्धराजन, हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेटर डॉ. वाई. सी. गुप्ता, डायरेक्टर एडमिनिस्ट्रेशन रघुवर दत्त और प्रिंसिपल डॉ. बरखा गुप्ता ने इसे अस्पताल की उन्नत चिकित्सा सुविधाओं और उत्कृष्ट टीमवर्क का महत्वपूर्ण उदाहरण बताया। सरस्वती ग्रुप ऑफ़ इंस्टिट्यूशंस के चेयरमैन डॉ. जे. रामचंद्रन और वाइस चेयरपर्सन रम्या रामचंद्रन ने भी टीम को शुभकामनाएँ देते हुए भविष्य में और भी नई चिकित्सा उपलब्धियाँ हासिल करने की अपेक्षा जताई।
