नई दिल्ली (शिखर समाचार)
गांधीनगर में आयोजित 11वें सीपीए भारत क्षेत्र सम्मेलन के समापन सत्र और प्रेस कॉन्फ्रेंस में लोक सभा अध्यक्ष ने लोकतांत्रिक मूल्यों को और सशक्त बनाने का स्पष्ट आह्वान किया। उन्होंने कहा कि सदनों में नियोजित गतिरोध की प्रवृत्ति बढ़ना चिंताजनक है और इसे रोकने के लिए सभी राजनीतिक दलों और जनप्रतिनिधियों के बीच खुला संवाद अनिवार्य है।
मतभिन्नता लोकतंत्र की शक्ति, न कि बाधा: लोक सभा अध्यक्ष
लोक सभा अध्यक्ष ने कहा कि विचारों में मतभिन्नता लोकतंत्र की आत्मा है, लेकिन इन मतभिन्नताओं के बावजूद चर्चा और संवाद का क्रम कभी टूटना नहीं चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि असहमति भी लोकतंत्र का एक मूल मूल्य है, जिसे परिपक्वता और सहनशीलता से स्वीकार किया जाना चाहिए। बहस को मुद्दों पर केंद्रित रखने और व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप से बचने का उन्होंने सभी से आग्रह किया।
उन्होंने कहा कि जन आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए विधायी संस्थाओं को और अधिक पारदर्शी, जवाबदेह और उत्तरदायी बनाना आवश्यक है। इसके लिए तकनीकी साधनों का सकारात्मक और अधिकतम उपयोग किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि विधानमंडलों की लाइब्रेरी, रिसर्च और रेफरेंस शाखाओं को सुदृढ़ करने की जरूरत है, जिससे बहसें गहरी, तथ्यपरक और सार्थक बन सकें।
डिजिटलीकरण से जनता और विधानमंडलों के बीच बन रहा है सीधा और सशक्त सेतु
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डिजिटलीकरण के प्रभाव का उल्लेख करते हुए लोक सभा अध्यक्ष ने कहा कि आज अधिकांश विधानसभाएँ जनता तक सीधे पहुँचने में सफल रही हैं। आने वाले समय में डिजिटलीकरण का और अधिक सकारात्मक उपयोग कर जनता और विधानमंडलों के बीच संबंधों को और प्रगाढ़ किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि भारत का लोकतंत्र और संविधान पूरी दुनिया के लिए मार्गदर्शक बन चुके हैं। ऐसे में हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपनी लोकतांत्रिक संस्थाओं को और अधिक सशक्त, प्रेरणादायी और अनुकरणीय बनाएं। सम्मेलन से मिले विमर्श और अनुभवों को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने आश्वस्त किया कि राज्यों की श्रेष्ठ प्रथाओं को अपनाकर लोकतंत्र को और पारदर्शी और सहभागी बनाया जाएगा। लोक सभा अध्यक्ष ने यह भी स्पष्ट किया कि अंतिम व्यक्ति की आवाज़ को सदनों तक पहुँचाना और उसी के अनुरूप नीतियां बनाना ही विधायिकाओं का वास्तविक दायित्व है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2047 तक विकसित भारत के संकल्प को पूरा करने का मार्ग तभी प्रशस्त होगा जब हमारे विधानमंडल सक्रिय, सकारात्मक और जनकेंद्रित भूमिका निभाएँगे।