केंद्रीय विद्यालय NTPC बदरपुर को बंद करने की संभावित कार्रवाई से मचा हड़कंप, अभिभावकों का विरोध तेज, छात्रों का भविष्य अधर में लटका

Rashtriya Shikhar
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Panic Over Possible Closure of Kendriya Vidyalaya NTPC Badarpur IMAGE CREDIT TO KV SCHOOL PROFILE

नई दिल्ली (शिखर समाचार)
बदरपुर स्थित केन्द्रीय विद्यालय एनटीपीसी को लेकर इन दिनों अनिश्चितता का माहौल गहराता जा रहा है। सत्र के बीच विद्यालय को बंद करने या स्थानांतरित करने की संभावित कार्रवाई की खबरें सामने आने के बाद अभिभावकों और छात्रों में गहरी चिंता व्याप्त है। करीब बारह सौ से अधिक छात्रों वाले इस विद्यालय में अचानक बंदी की चर्चा ने न केवल उनकी पढ़ाई बाधित होने का खतरा पैदा कर दिया है बल्कि उनके भविष्य पर भी गंभीर प्रश्नचिह्न लगा दिए हैं। हाल ही में अभिभावकों ने विद्यालय परिसर के बाहर विरोध प्रदर्शन किया और मांग की कि विद्यालय को किसी भी स्थिति में इस सत्र में बंद न किया जाए। उनका कहना है कि सत्र के मध्य में ऐसा निर्णय बच्चों की पढ़ाई के साथ-साथ उनकी मानसिक स्थिति पर भी प्रतिकूल असर डालेगा। अभिभावकों ने यह भी आरोप लगाया कि उन्होंने इस सत्र के लिए नामांकन, किताबें, वर्दी और ट्यूशन पर पहले ही भारी खर्च कर दिया है और अब अचानक स्कूल बंद करने का आदेश पूरी तरह अनुचित है।

केवी बदरपुर पर संकट बरकरार: प्रायोजन विवाद के चलते बार-बार बंद होने की नौबत

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सूत्र बताते हैं कि विद्यालय के संचालन पर वर्षों से दबाव बना हुआ है। बदरपुर थर्मल पावर स्टेशन के 2018 में बंद होने के बाद से प्रायोजन मॉडल को लेकर केन्द्रीय विद्यालय संगठन और प्रशासन के बीच खींचतान चल रही है। इसी के चलते 2023 में भी विद्यालय बंद करने का मुद्दा उठा था, लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया था कि चलते हुए विद्यालय को सत्र के बीच बंद नहीं किया जा सकता और छात्रों की पढ़ाई बचाने के लिए विद्यालय को चालू रखने का आदेश दिया था। अदालत ने तब दिल्ली उपराज्यपाल की अध्यक्षता में एक समिति बनाकर समाधान खोजने के निर्देश भी दिए थे।

अभिभावकों का कहना है कि यह विद्यालय क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का बड़ा केंद्र है और अगर इसे बंद कर दिया गया तो आसपास के बच्चों को लंबी दूरी तय करके दूसरे विद्यालयों में जाना पड़ेगा, जिससे उनकी सुरक्षा और आर्थिक बोझ दोनों बढ़ेंगे। बच्चों को अचानक नए माहौल में भेजना उनके सामाजिक और भावनात्मक विकास पर भी असर डालेगा। वहीं, विद्यालय के स्टाफ और शिक्षकों में भी अनिश्चितता का माहौल है। संविदा शिक्षकों और नियमित शिक्षकों को आशंका है कि बंदी या स्थानांतरण की स्थिति में उनके भविष्य पर भी असर पड़ेगा।

विद्यालय बंद होने की आशंका से अभिभावकों और शिक्षकों में चिंता

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विद्यालय की आधिकारिक वेबसाइट पर अभी तक बंद करने का कोई स्पष्ट आदेश जारी नहीं हुआ है। मार्च 2025 में कक्षा-1 के प्रवेश की सूची जारी की गई थी और फरवरी में नए सत्र के लिए संविदा शिक्षकों के इंटरव्यू भी आयोजित किए गए थे। यह दर्शाता है कि विद्यालय को 2025-26 सत्र के लिए पूरी तरह संचालित किया जा रहा था। ऐसे में सत्र के चार महीने बीतने के बाद अचानक बंदी की चर्चा ने और भी सवाल खड़े कर दिए हैं।

अभिभावकों ने मांग की है कि केन्द्रीय विद्यालय संगठन और प्रशासन तत्काल लिखित रूप में स्थिति स्पष्ट करें। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि बंद करने या स्थानांतरण का निर्णय वापस नहीं लिया गया तो वे बड़े पैमाने पर आंदोलन करेंगे और आवश्यक हुआ तो अदालत का दरवाजा भी खटखटाएंगे। शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि यदि किसी कारणवश विद्यालय का पुनर्गठन करना ही है तो यह अगले शैक्षणिक वर्ष से पूरी तैयारी और वैकल्पिक व्यवस्था के साथ होना चाहिए ताकि छात्रों की पढ़ाई बाधित न हो। फिलहाल इस पूरे मामले पर अभिभावकों, छात्रों और शिक्षकों की निगाहें केन्द्रीय विद्यालय संगठन और स्थानीय प्रशासन के अगले कदम पर टिकी हुई हैं। विरोध प्रदर्शन के बीच सभी यह उम्मीद कर रहे हैं कि प्रशासनिक स्तर पर कोई ऐसा समाधान निकले जिससे न केवल बच्चों की पढ़ाई सुरक्षित रहे बल्कि विद्यालय समुदाय के विश्वास को भी बहाल किया जा सके।

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