DISTRICT JUDGE ASHISH GARG: की मौत पर वकीलों का गंभीर आरोप, यशोदा अस्पताल में सर्जरी के दौरान लापरवाही से गई जान, एफआईआर दर्ज करने की मांग

Rashtriya Shikhar
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Lawyers made serious allegations on the death of District Judge Ashish Garg. Photo by file photo

गाज़ियाबाद (शिखर समाचार) जिले के वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने जिला जज आशिष गर्ग की मौत को लेकर गंभीर सवाल खड़े करते हुए इसे चिकित्सा लापरवाही और संदिग्ध परिस्थितियों का मामला बताया है। इस संबंध में अधिवक्ताओं के एक समूह ने जिलाधिकारी गाज़ियाबाद को एक विस्तृत प्रार्थना पत्र सौंपा, जिसमें अस्पताल प्रबंधन और जिम्मेदार चिकित्सकों के खिलाफ धारा एफआईआर दर्ज कर रोबोटिक सर्जरी के दौरान हुई कथित गड़बड़ियों की गहन और निष्पक्ष जांच की मांग की गई है।

पारदर्शिता के साथ सम्पन्न हुआ ड्रॉ, प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में हुआ आवंटन प्रक्रिया का संचालन

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प्रार्थना पत्र में अधिवक्ता हरेंद्र कुमार गौतम ने विस्तार से घटनाक्रम बताते हुए कहा कि 11 अगस्त 2025 को जिला जज महोदय की अचानक तबीयत बिगड़ने पर उन्हें यशोदा अस्पताल इंद्रापुरम में भर्ती कराया गया। शाम करीब 6 बजे के बाद उन्हें भर्ती किया गया, जहां अस्पताल के चिकित्सकों ने 7 से 8 मिनट की जांच के बाद हर्निया बताते हुए कहा कि उनकी आंत में छेद है और तत्काल रोबोटिक सर्जरी की आवश्यकता है। अस्पताल प्रबंधन के अनुसार उन्हें करीब रात 9 से 10 बजे के बीच ऑपरेशन थिएटर ले जाया गया।

अधिवक्ताओं का आरोप है कि इस दौरान डॉक्टरों ने ऑपरेशन से पहले उनकी गंभीर स्थिति को देखते हुए आवश्यक मेडिकल प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया और सही समय पर ऑपरेशन नहीं शुरू किया। इसके अलावा पत्र में कहा गया कि रोबोटिक सर्जरी के नाम पर घंटों तक प्रक्रिया में देरी हुई, जिससे मरीज की हालत और गंभीर होती गई। परिजनों के अनुसार अस्पताल ने तकनीकी कारणों का हवाला देकर समय गंवाया और जब ऑपरेशन हुआ, तब तक जिला जज महोदय का शरीर कमजोर हो चुका था।

रोबोटिक सर्जरी के बाद रहस्यमयी मौत, लापरवाही या साजिश?

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पत्र में यह भी कहा गया कि रोबोटिक सर्जरी के बाद उनकी मृत्यु हो गई, लेकिन अस्पताल ने मौत की वास्तविक वजह स्पष्ट करने के बजाय मात्र मेडिकल कंडीशन बिगड़ने का हवाला देकर शव परिजनों को सौंप दिया। आरोप है कि उनके शरीर पर पेट, छाती और अन्य हिस्सों पर गंभीर निशान थे, जो यह संकेत देते हैं कि या तो ऑपरेशन के दौरान गलत तरीके से उपकरणों का प्रयोग हुआ या आवश्यक सावधानियां नहीं बरती गईं।

अधिवक्ताओं का कहना है कि यह मामला केवल साधारण चिकित्सकीय गलती नहीं है, बल्कि इसमें गंभीर लापरवाही और संभवतः नियोजित साजिश की आशंका है। प्रार्थना पत्र में स्पष्ट मांग की गई है कि जिला जज आशिष गर्ग की मौत के संबंध में एफआईआर यशोदा अस्पताल इंद्रापुरम गाज़ियाबाद के खिलाफ दर्ज कराई जाए और एम्स जैसे किसी प्रतिष्ठित सरकारी अस्पताल के विशेषज्ञ डॉक्टरों का पैनल बनाकर विस्तृत पोस्टमार्टम व फोरेंसिक जांच कराई जाए, ताकि सच्चाई सामने आ सके।

जिला जज की मौत पर वकीलों की चेतावनी निष्पक्ष जांच न हुई तो डगमगाएगा जनता का भरोसा

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वकीलों ने चेतावनी दी है कि यदि इस मामले में पारदर्शी और निष्पक्ष जांच नहीं हुई, तो यह न केवल न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंचाएगा बल्कि आम नागरिकों का भी चिकित्सा संस्थानों और न्यायिक तंत्र पर से भरोसा डगमगा देगा।

इस प्रार्थना पत्र पर अधिवक्ता आनंद सिंह चंद्रेश, किरन कौर, विनोद कुमार, सुरेश कुमार करदम, हरिसिर कुशवाहा, हरेंद्र कुमार गौतम और सचिन कुमार सहित कई नामचीन वकीलों ने हस्ताक्षर किए हैं। अधिवक्ताओं का कहना है कि जिला जज जैसे उच्च पद पर बैठे व्यक्ति की मौत अगर अस्पताल की लापरवाही से होती है, तो यह देश की न्यायिक और चिकित्सा व्यवस्था दोनों के लिए गहरी चिंता का विषय है।

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