JSS Malappuram ने मनाई मंत्रालय की 10वीं वर्षगांठ, 50 हजार से अधिक लाभार्थियों की बदली जीवनधारा

Rashtriya Shikhar
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SS Malappuram Celebrates Ministry's 10th Anniversary IMAGE CREDIT TO PIB

नई दिल्ली (शिखर समाचार)।
कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) के अंतर्गत कार्यरत जन शिक्षण संस्थान मलप्पुरम ने राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जयंत चौधरी की उपस्थिति में मंत्रालय की 10वीं वर्षगांठ का आयोजन लाभार्थी सम्मेलन और प्रदर्शनी के माध्यम से किया। यह कार्यक्रम न केवल मंत्रालय की उपलब्धियों का उत्सव था, बल्कि एक दशक के भीतर सामाजिक परिवर्तन, समावेश और रोजगार परक प्रशिक्षण के बल पर 50 हजार से अधिक व्यक्तियों के जीवन में लाए गए बदलाव की जीवंत झलक भी था।

जेएसएस मलप्पुरम: आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ता एक सशक्त कदम

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कार्यक्रम में जयंत चौधरी ने जेएसएस मलप्पुरम के प्रयासों की सराहना करते हुए इसे समुदाय आधारित परिवर्तन का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का यह दृष्टिकोण कि लघु, सूक्ष्म और ग्रामीण उद्यम देश की आर्थिक रीढ़ बन सकते हैं, जेएसएस जैसे संस्थानों के माध्यम से जमीन पर उतरा है। उन्होंने कहा कि जेएसएस मलप्पुरम न केवल कौशल विकास का केंद्र है बल्कि यह गरिमा, समावेश और स्थायित्व का संवाहक भी बन चुका है। उन्होंने कहा कि यह संस्थान देश के दूरदराज हिस्सों में रह रहे समुदायों को आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ा रहा है और यह यात्रा विकसित भारत 2047 के संकल्प से जुड़ी हुई है।

जेएसएस मलप्पुरम की नींव 2006 में रखी गई थी और तब से यह संस्थान अपनी अनूठी पहलों के जरिए जनजातीय आबादी, दिव्यांगजन, महिलाओं और अन्य वंचित वर्गों तक पहुंच बनाकर उन्हें प्रशिक्षित कर रहा है। विद्या योजना के तहत जनजातीय क्षेत्रों में संवादात्मक पैन, पोषण सहायता और स्वास्थ्य उपकरणों का वितरण किया गया। वहीं उल्लासम नामक पहल ने विधवा, तलाकशुदा और अकेली महिलाओं को रोजगार के साथ मानसिक सशक्तिकरण का नया रास्ता दिखाया है। स्पर्श कार्यक्रम ने दिव्यांग व्यक्तियों के लिए प्रशिक्षण और उत्पादन इकाई खड़ी की, जो अब जिला प्रशासन के सहयोग से व्यापारिक स्तर पर भी आगे बढ़ रही है।

अभिसरण के जरिए समावेशी विकास की नई इबारत लिखता जेएसएस मलप्पुरम

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संस्थान की ताकत उसके अभिसरण मॉडल में भी देखी गई, जहां स्थानीय निकायों, शैक्षणिक संस्थानों, नाबार्ड, कॉरपोरेट सीएसआर भागीदारों और स्वयंसेवी संगठनों के साथ मिलकर क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर योजनाओं का समावेश किया गया। जेएसएस मलप्पुरम डीडीयूजीकेवाई, पीएमकेवीवाई, एनयूएलएम, नई मंज़िल और नई रोशनी जैसी केंद्रीय योजनाओं का प्रमुख भागीदार रहा है। वर्ष 2021 से नाबार्ड के सहयोग से एकीकृत जनजातीय विकास कार्यक्रम संचालित कर 400 से अधिक परिवारों को लाभान्वित किया गया, अब आगामी समय में एकीकृत तटीय विकास कार्यक्रम लाने की योजना है।

संस्थान को उसकी उल्लेखनीय उपलब्धियों के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है। 2014 में भारत के राष्ट्रपति द्वारा साक्षर भारत पुरस्कार, 2016 में यूनेस्को कन्फ्यूशियस साक्षरता पुरस्कार और 2017 में टैगोर साक्षरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 2021-22 में मंत्रालय की ग्रेडिंग में 98 प्रतिशत अंक अर्जित कर संस्थान ने उत्कृष्टता का नया कीर्तिमान रचा।

हुनर, प्रमाणन और डिजिटल जागरूकता की ओर सशक्त कदम

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कार्यक्रम के दौरान 1800 लाभार्थियों को प्रमाणपत्र वितरित किए गए, वहीं पीएम विश्वकर्मा योजना के अंतर्गत प्रशिक्षित 300 लाभार्थियों को भी प्रमाणन प्रदान किया गया। डिजिटल साक्षरता को ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचाने की दिशा में नैसकॉम के सहयोग से एआई साक्षरता मॉड्यूल का शुभारंभ कर एक महत्वपूर्ण पहल की गई।

कार्यक्रम से पूर्व मंत्री जयंत चौधरी ने प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम (पीएमजेवीके) के अंतर्गत नीलांबुर स्थित अमल कॉलेज ऑफ एडवांस्ड स्टडीज में एक अत्याधुनिक कौशल विकास केंद्र का उद्घाटन किया। 7.92 करोड़ की लागत से निर्मित यह केंद्र अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों में विश्वस्तरीय रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण प्रदान करने का उद्देश्य रखता है। यहां एआई, मेडिकल कोडिंग, डिजिटल और वित्तीय साक्षरता जैसे नए पाठ्यक्रमों की शुरुआत की गई है। राज्यमंत्री ने इसे शिक्षा और रोजगार के बीच सेतु बताते हुए कहा कि इस तरह के संस्थान सरकार की उस प्रतिबद्धता का प्रमाण हैं, जो हर वर्ग को आत्मनिर्भर बनाकर समावेशी राष्ट्र निर्माण की दिशा में कार्य कर रही है।

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