नई दिल्ली (शिखर समाचार) आज़ादी के अमृत पर्व की गूंज के बीच राजधानी दिल्ली में एक अलग ही उत्साह का माहौल रहा, जब स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर भारत सरकार के विशेष आमंत्रण पर आए किसानों का पूसा स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) परिसर में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गर्मजोशी से स्वागत किया। इस अवसर पर उन्होंने किसानों के साथ लंबा संवाद करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर स्वदेशी अपनाओ का संकल्प दिलाया और स्पष्ट कहा कि जब हम अपने ही देश में बनी वस्तुओं को खरीदेंगे, तो न सिर्फ आत्मनिर्भर भारत का सपना मजबूत होगा, बल्कि लाखों हाथों को रोज़गार भी मिलेगा।
अमर बलिदानों को नमन, ऑपरेशन सिंदूर से गूंजा नया भारत का स्वर
कार्यक्रम की शुरुआत में केंद्रीय मंत्री ने स्वतंत्रता संग्राम के उन अमर सपूतों को नमन किया, जिनके बलिदान और तपस्या से भारत को आज़ादी मिली। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने यह आज़ादी किसी चांदी की तश्तरी में रखकर नहीं दी, बल्कि हजारों क्रांतिकारी हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूल गए, उनके एक हाथ में गीता होती थी और मुख से भारत माता की जय के नारे गूंजते थे।
श्री चौहान ने हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुए कहा कि भारत किसी को छेड़ता नहीं, लेकिन जो देश को ललकारता है, उसे बख्शा भी नहीं जाता। निर्दोष नागरिकों की शहादत का बदला लेने की इस कार्रवाई ने साबित कर दिया कि नया भारत किसी के दबाव में नहीं आता। उन्होंने सीमाओं पर डटे वीर जवानों को बार-बार प्रणाम करते हुए कहा कि उन्हीं की चौकसी से देशवासी चैन की नींद सो पाते हैं।
स्वदेशी से समृद्धि की राह, किसान हितों पर अडिग है नया भारत
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स्वदेशी की अहमियत पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि अगर गांवों के कारीगरों, स्वयं सहायता समूहों और स्थानीय उत्पादकों द्वारा बनाई वस्तुएं खरीदी जाएं, तो ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नई ऊर्जा का संचार होगा। कुम्हार के हाथों के दीये जलेंगे, तो रोशनी केवल आपके घर ही नहीं, उनके जीवन में भी पहुंचेगी।
किसान हितों की रक्षा को लेकर केंद्रीय मंत्री ने प्रधानमंत्री के दृढ़ रुख का उल्लेख करते हुए बताया कि कोई भी अंतरराष्ट्रीय व्यापार समझौता ऐसा नहीं होगा जो भारतीय किसानों के नुकसान में जाए। उन्होंने कहा कि यूके के साथ हुआ नया करार हमारे कृषि उत्पादों को बिना ड्यूटी टैक्स के इंग्लैंड भेजने का रास्ता खोलता है, लेकिन किसी भी विदेशी उत्पाद की सस्ती बाढ़ हमारे बाजार में नहीं आने दी जाएगी, जिससे किसानों की लागत वसूलना भी मुश्किल हो जाए।
किसानों की सेवा भगवान की पूजा समान, सरकार का संकल्प बन रही है हकीकत
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उन्होंने साफ किया कि भारत के किसान, पशुपालक और मछुआरे राष्ट्र की आर्थिक रीढ़ हैं और उनकी सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है। सरकार सिर्फ फ़ाइलों में नहीं, जनता की जिंदगी में दिखनी चाहिए, यह कहते हुए उन्होंने उदाहरण दिया कि हाल ही में किसानों की शिकायत पर एक कीटनाशक कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है, क्योंकि उसकी दवा से फसलें जल गई थीं।
श्री चौहान ने बताया कि कृषि वैज्ञानिक अब लैब टू लैंड के सिद्धांत पर गांव-गांव जाकर किसानों से सीधे जुड़ रहे हैं। 3 से 18 अक्टूबर तक विशेष अभियान के जरिए किसानों के साथ संवाद किया जाएगा और रबी फसलों पर केंद्रित दो दिवसीय राष्ट्रीय कॉन्फ़्रेंस आयोजित होगी। उन्होंने कहा कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ और किसान उसकी आत्मा हैं। यदि मैं कृषि मंत्री हूं, तो किसानों की सेवा मेरे लिए भगवान की पूजा से कम नहीं।

इस अवसर पर केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर और भागीरथ चौधरी, केंद्रीय कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी, आईसीएआर महानिदेशक डॉ. एम.एल. जाट सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। कार्यक्रम के अंत में संयुक्त सचिव पेरिन देवी ने सभी का आभार व्यक्त किया।