गाजियाबाद/लखनऊ (शिखर समाचार)
2013 बैच के तेज़-तर्रार और ज़मीन से जुड़े IAS अधिकारी रविंद्र कुमार मंदार ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि प्रशासन में सिर्फ पद नहीं, प्रदर्शन ही पहचान बनाता है। रामपुर, जौनपुर और प्रयागराज जैसे अहम और संवेदनशील जिलों में सधे हुए नेतृत्व और तीव्र फैसलों से अपनी छवि स्थापित करने के बाद, अब उन्हें उत्तर प्रदेश के सबसे हाई-प्रोफाइल जिलों में से एक, गाज़ियाबाद का जिलाधिकारी बनाया गया है।
गाज़ियाबाद की कमान संभालते ही एक और कीर्तिमान — रविंद्र मंदार पर प्रशासनिक और जनविश्वास दोनों मजबूत
यह पहली बार नहीं है जब रविंद्र कुमार मंदार को अहम ज़िम्मेदारी मिली हो, लेकिन यह खास इसलिए है क्योंकि यह उनकी लगातार चौथी पोस्टिंग बतौर डीएम है एक ऐसा कीर्तिमान जो किसी भी IAS अधिकारी के लिए सामान्य नहीं, बल्कि प्रशासनिक विश्वास और जनविश्वास दोनों का प्रतीक है।
गाज़ियाबाद जैसे शहरी, जटिल और राजनीतिक रूप से संवेदनशील जिले में डीएम की कुर्सी पर बैठना, एक बड़ी चुनौती मानी जाती है। विकास, कानून-व्यवस्था, अतिक्रमण, ट्रैफिक और अवैध निर्माण जैसे मुद्दों से जूझते इस जिले को अब एक ऐसे अधिकारी की जरूरत थी जो मौके पर रहकर फैसले ले, नीतियों को जमीन पर उतारे और सख्त लेकिन संवेदनशील नेतृत्व दे और रविंद्र मंदार इस कसौटी पर पूरी तरह खरे उतरते हैं।
गाज़ियाबाद को मिला अनुभवी नेतृत्व — रविंद्र मंदार से विकास की नई रफ्तार की उम्मीद
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पूर्व में उनके कार्यकाल के दौरान जिस तरह उन्होंने रामपुर में पारदर्शिता लाई, जौनपुर में शिक्षा और स्वास्थ्य के मोर्चे पर सुधार किए, और प्रयागराज में कुंभ जैसे आयोजनों में प्रशासनिक दक्षता दिखाई, वह उनकी पहचान बन चुका है। उनके काम करने का तरीका शब्दों से नहीं, नतीजों से बात करता है।
गाज़ियाबाद की जनता अब उम्मीद लगाए बैठी है कि रविंद्र मंदार का अनुभव, निष्पक्षता और तेज़ निर्णय क्षमता, जिले को एक नई दिशा और रफ्तार देगी। क्या NCR की इस नब्ज़ को मंदार सधे हाथों से थाम पाएंगे? क्या गाज़ियाबाद अब एक नए प्रशासनिक युग में प्रवेश करेगा? यह तो आने वाला वक्त बताएगा, मगर फिलहाल इतना तय है कि एक मजबूत नेतृत्व फिर से मैदान में उतर चुका है।