ग्रेटर नोएडा (शिखर समाचार)। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने शहर में संचालित सभी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) को अत्याधुनिक तकनीकों से सुसज्जित करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। अब इन प्लांट्स से निकलने वाले शोधित जल को और अधिक स्वच्छ व उपयोगी बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इस योजना के तहत एसटीपी में अतिरिक्त स्तर का फिल्टर लगाया जाएगा, जिससे ट्रीटेड वाटर की गुणवत्ता पीने योग्य पानी के मानकों के निकट लाई जा सकेगी। यह शोधित जल न केवल पर्यावरण हितैषी होगा, बल्कि औद्योगिक उत्पादन में भी इसका सुरक्षित उपयोग संभव हो सकेगा।
शहर के एसटीपी में त्रिस्तरीय शोध प्रक्रिया से जल प्रदूषण नियंत्रण का नया कदम
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इस तकनीकी उन्नयन के लिए डीपीआर (डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट) का जिम्मा आईआईटी दिल्ली को सौंपा गया है, जो अगला सप्ताह आने तक तैयार होने की उम्मीद है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ एनजी रवि कुमार ने जल शोधन की इस प्रक्रिया को तेजी से अपनाने के निर्देश दिए हैं। वहीं सीवर विभाग के वरिष्ठ प्रबंधक विनोद शर्मा के अनुसार, प्रारंभिक आकलन में यह सामने आया है कि प्रति एमएलडी करीब 20 लाख रुपये की लागत इस अपग्रेडेशन में आ सकती है।
अपग्रेडेड एसटीपी से साफ़, सुरक्षित और पुनः उपयोगी जल: पर्यावरण और संसाधनों की बचत का नया युग
अपग्रेडेशन के बाद सभी एसटीपी ट्रेसरी ट्रीटमेंट प्लांट में तब्दील हो जाएंगे, यानी शोधित जल पहले से अधिक साफ, सुरक्षित और पुन: उपयोग योग्य हो जाएगा। इसका इस्तेमाल अब केवल सीवर डिस्चार्ज तक सीमित न रहकर, उद्योगों और अन्य तकनीकी कार्यों में भी किया जा सकेगा। इससे न केवल पानी की बर्बादी रुकेगी, बल्कि भूजल पर निर्भरता भी घटेगी। प्राधिकरण के एसीईओ प्रेरणा सिंह ने बताया कि हमारा लक्ष्य है कि एसटीपी से निकलने वाला जल इतना स्वच्छ हो कि वह तकनीकी व औद्योगिक जरूरतों को पूरा कर सके। इसके लिए तकनीकी रूप से हर संभव अपग्रेडेशन सुनिश्चित किया जाएगा।’

जल प्रबंधन की दिशा में ग्रेटर नोएडा की यह पहल अन्य शहरी क्षेत्रों के लिए भी एक अनुकरणीय उदाहरण बन सकती है।