(लेखक…..डॉ आसिफ उमर हिन्दी विभाग, जामिया मिल्लिया इस्लामिया नई दिल्ली)
नई दिल्ली शिक्षा की दुनिया में जामिया मिल्लिया इस्लामिया आज उस मुकाम पर खड़ा है, जहाँ उसकी पहचान केवल एक विश्वविद्यालय के रूप में नहीं, बल्कि एक जीवंत सांस्कृतिक और सामाजिक धरोहर के रूप में की जाती है। सौ से अधिक वर्षों का इतिहास अपने आप में कई गौरवगाथाएँ समेटे हुए है, लेकिन मौजूदा समय में जिस ऊँचाई और वैश्विक पहचान की ओर जामिया अग्रसर है, उसका श्रेय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर मज़हर आसिफ़ और कुलसचिव प्रोफेसर मोहम्मद महताब आलम रिज़वी के अद्वितीय नेतृत्व को जाता है।
पिछले कुछ वर्षों में जामिया की प्रगति का ग्राफ लगातार ऊपर की ओर बढ़ा है। राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय रैंकिंग में सुधार, शोध व नवाचार के नए अवसर, खेलों और सांस्कृतिक गतिविधियों में शानदार प्रदर्शन, आधुनिक बुनियादी ढांचे का विकास और सबसे अहम प्रशासनिक पारदर्शिता ये सभी संकेत बताते हैं कि संस्थान का वर्तमान नेतृत्व न केवल दूरदर्शी है, बल्कि उसे धरातल पर उतारने का हौसला भी रखता है।
शैक्षणिक सुधार और अनुसंधान पर विशेष ध्यान
कुलपति प्रोफेसर मज़हर आसिफ़ ने नई शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप पाठ्यक्रमों को अद्यतन किया और रोजगारोन्मुखी व कौशल आधारित शिक्षा को बढ़ावा दिया। जामिया के विभिन्न विभागों ने अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के साथ करार किए, जिससे शोध और अकादमिक सहयोग का नया अध्याय खुला। इसका नतीजा यह हुआ कि वैश्विक स्तर पर जामिया की छवि और मजबूत हुई और अंतर्राष्ट्रीय जर्नल्स में शोधपत्रों की संख्या बढ़ी।
कुशल प्रशासन और पारदर्शिता की पहचान
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कुलसचिव प्रोफेसर महताब आलम रिज़वी ने प्रशासनिक ढांचे में पारदर्शिता और जवाबदेही को सुनिश्चित किया। छात्रवृत्ति योजनाओं का विस्तार, नई इमारतों और प्रयोगशालाओं का निर्माण, हॉस्टलों में बेहतर सुविधाएँ और डिजिटल लाइब्रेरी जैसी योजनाएँ इसी दृष्टि का परिणाम हैं। उन्होंने शिक्षकों और कर्मचारियों को संस्थान की प्रगति की धुरी बनाकर सबको एक सूत्र में पिरोया।
खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों में उपलब्धियाँ
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खेलों के क्षेत्र में भी जामिया ने झंडे गाड़े हैं। क्रिकेट, फुटबॉल, बास्केटबॉल, शूटिंग और एथलेटिक्स में छात्रों ने राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीते हैं। दूसरी ओर, वार्षिक तालीमी मेला और सांस्कृतिक महोत्सव ने अब अंतर्राष्ट्रीय पहचान बना ली है। नाटक, संगीत, कला प्रदर्शनियाँ और सामाजिक सेवा अभियान जामिया की जीवंत छवि को और समृद्ध कर रहे हैं।
भविष्य की राह : वैश्विक विश्वविद्यालय बनने की दिशा में अग्रसर
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कुलपति और कुलसचिव की साझा दृष्टि यही है कि आने वाले वर्षों में जामिया को शीर्ष वैश्विक विश्वविद्यालयों की सूची में शामिल किया जाए। इसके लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, नवाचार आधारित स्टार्टअप इकोसिस्टम और बहुभाषी शिक्षा के साथ-साथ समाजोपयोगी अनुसंधान पर विशेष बल दिया जा रहा है।

जामिया की मौजूदा सफलता कोई संयोग नहीं, बल्कि मेहनत, निष्ठा और दूरदर्शी नेतृत्व का परिणाम है। कुलपति प्रोफेसर मज़हर आसिफ़ और कुलसचिव प्रोफेसर महताब आलम रिज़वी ने यह साबित किया है कि जब नेतृत्व ईमानदार और प्रतिबद्ध हो तो शिक्षा से लेकर खेल, संस्कृति और समाज सेवा तक हर क्षेत्र में संस्थान नई ऊँचाइयाँ छू सकता है। आज जामिया का नाम भारत ही नहीं, बल्कि वैश्विक मंचों पर भी रोशन है और इस रोशनी के पीछे इन दोनों शिक्षाविदों का त्याग, समर्पण और इंसानियत की गहरी भावना है।