ग्रेटर नोएडा (शिखर समाचार)
Sharda University के स्कूल ऑफ लॉ में सोमवार से पंद्रह दिवसीय संकाय विकास कार्यक्रम (FDP) की शुरुआत हो गई है। यह आयोजन शिक्षकों को शिक्षण, शोध और लेखन के समकालीन दृष्टिकोणों से लैस करने के उद्देश्य से किया जा रहा है। कार्यक्रम का उद्घाटन हिमाचल प्रदेश नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, शिमला के पूर्व कुलपति डॉ. एससी रैना ने किया, जिनकी मौजूदगी ने आयोजन को विशिष्टता प्रदान की।
शुभारंभ सत्र की शुरुआत प्रो. (डॉ.) अनीता सिंह के प्रेरणादायक संबोधन से हुई
शुभारंभ सत्र की शुरुआत प्रो. (डॉ.) अनीता सिंह के प्रेरणादायक संबोधन से हुई, जिनके अनुसार यह कार्यक्रम शिक्षकों को न केवल अकादमिक रूप से, बल्कि बौद्धिक रूप से भी समृद्ध करेगा। विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सिबाराम खारा ने शिक्षकों से अपने शिक्षण में गुणवत्ता और नवाचार को प्राथमिकता देने की बात कही। उन्होंने कहा कि आज का समय पारंपरिक पद्धतियों से आगे बढ़कर शोध आधारित शिक्षा की मांग कर रहा है।
मुख्य अतिथि डॉ. रैना ने अपने संबोधन में शोध क्षमताओं को विकसित करने के लिए शिक्षकों की भूमिका पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि जब तक शिक्षक खुद अनुसंधान के लिए गंभीर नहीं होंगे, तब तक छात्र भी उसमें रुचि नहीं लेंगे।
राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय दिल्ली परिसर द्वारा संचालित किया https://rashtriyashikhar.com/awareness-meeting-at-pps-international/
एफडीपी के पहले दिन का प्रमुख सत्र प्रो. (डॉ.) पूर्वी पोखरियाल निदेशक राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय दिल्ली परिसर द्वारा संचालित किया गया। उन्होंने समूह आधारित और छात्र-केंद्रित शिक्षण के महत्व पर विस्तार से चर्चा की। साथ ही यह भी बताया कि डिजिटल युग में छात्रों को सूचनाओं की भरमार से किस प्रकार समझदारी से सीखने की ओर मोड़ा जा सकता है।
डॉ. ऋषिकेश दवे डीन स्कूल ऑफ लॉ ने बताया कि यह दो सप्ताह का कार्यक्रम पूरी तरह ऑफलाइन होगा और इसमें शिक्षण के साथ-साथ डेटा विश्लेषण, शोध डिजाइन, परिणाम प्रस्तुति और शैक्षणिक लेखन के व्यावहारिक पक्षों पर फोकस किया जाएगा।
कार्यक्रम के विभिन्न सत्रों में आज के दौर की शैक्षणिक चुनौतियों से निपटने के लिए नई सोच, रणनीति और तकनीक पर चर्चा की जाएगी। साथ ही शोध के वैज्ञानिक दृष्टिकोण, आंकड़ों का विश्लेषण और निष्कर्षों को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने की बारीकियों पर भी प्रतिभागियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। कार्यक्रम का उद्देश्य शिक्षकों को इस तरह तैयार करना है कि वे अपने ज्ञान, अनुभव और शोध के ज़रिए शिक्षा क्षेत्र में ठोस और दूरगामी बदलाव ला सकें।