ग्रेटर नोएडा (शिखर समाचार)। लॉयड इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (LIET) में शुक्रवार को ऐसा दृश्य बना, जहां तकनीक और मूल्य आधारित शिक्षा एक-दूसरे के पूरक के रूप में सामने आए। मोरल रिटेन्शन एंड इमोशनल एंगेजमेंट यूज़िंग वीआर एंड सोशल रोबोट-बेस्ड स्टोरीटेलिंग विषयक सेमिनार में बतौर मुख्य वक्ता मौजूद रहे आईआईटी मंडी के प्रो. वरुण दत्त ने शिक्षा के उस स्वरूप पर प्रकाश डाला, जो केवल दिमाग़ को नहीं बल्कि हृदय और अंत:करण को भी छूता है।
तकनीक से जुड़ती परंपरा: मूल्य-आधारित शिक्षा की नई दिशा
प्रो. दत्त, जो कंप्यूटिंग एवं विद्युत अभियांत्रिकी विभाग के साथ-साथ IKSMHA सेंटर (भारतीय ज्ञान प्रणालियों पर आधारित मानसिक स्वास्थ्य अनुप्रयोग) से जुड़े हैं, उन्होंने भारतीय परंपरा में रचे-बसे पंचतंत्र, पुराण व अन्य कथाओं को आज के डिजिटल युग में वर्चुअल रियलिटी (VR) और सोशल रोबोट्स के ज़रिए कैसे जीवंत किया जा सकता है, यह विस्तार से बताया। उनका मानना है कि यदि छात्र कहानियों को केवल सुनें नहीं बल्कि तकनीक के ज़रिए जी भी सकें, तो शिक्षा अधिक गहराई से आत्मसात की जा सकती है।
LIET की ह्यूमन-कंप्यूटर इंटरैक्शन (HCI) लैब द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में प्रो. दत्त के शोध ने यह भी दिखाया कि EEG, HRV और फेशियल थर्मोग्राफी जैसे वैज्ञानिक उपकरणों से यह मापा जा सकता है कि कोई छात्र किसी नैतिक प्रसंग से कितना जुड़ता है या उसकी भावनात्मक प्रतिक्रिया क्या होती है। उन्होंने इसे मूल्य आधारित शिक्षा की प्रभावशीलता की दिशा में एक ठोस और मापनीय प्रयास बताया।
होलीस्टिक एजुकेशन की ओर कदम: तकनीक के साथ नैतिकता की नई पाठशाला
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कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे LIET के सीनियर डायरेक्टर प्रो. राजीव अग्रवाल ने इस पहल को संस्था के होलीस्टिक एजुकेशन मॉडल का हिस्सा बताते हुए कहा कि तकनीकी कुशलता के साथ नैतिक विवेक आज की सबसे बड़ी जरूरत है। उन्होंने बताया कि LIET छात्रों को सिर्फ नौकरी के लिए नहीं, समाज के लिए तैयार करता है।
सेमिनार में डॉ. कीर्ति, डॉ. जे.एम. गिरी समेत विभिन्न विभागों के संकाय सदस्य, शोध छात्र और सैकड़ों विद्यार्थी उपस्थित रहे। विद्यार्थियों ने इस नवाचार पर उत्साहपूर्वक संवाद किया और VR आधारित नैतिक शिक्षा को लेकर कई सवाल भी पूछे, जिनका प्रो. दत्त ने सहज शैली में उत्तर दिया। कार्यक्रम ने यह स्पष्ट संकेत दिया कि भविष्य की कक्षाएं सिर्फ ब्लैकबोर्ड और बुक तक सीमित नहीं रहेंगी, बल्कि तकनीक और संस्कृति के संयोजन से एक ऐसी शिक्षा प्रणाली उभरेगी जो छात्रों को न केवल होशियार, बल्कि संवेदनशील और उत्तरदायी नागरिक भी बनाएगी।