गाजियाबाद (शिखर समाचार)
नेहरू वर्ल्ड स्कूल गाजियाबाद के कैम्ब्रिज सेक्शन में शनिवार को ऐसा जीवंत माहौल देखने को मिला, जिसने हर दर्शक को बच्चों की कल्पनाशक्ति, अभिनय और भावनाओं की गहराई से जोड़ दिया। कक्षा एक से छह तक के करीब 150 छात्रों ने दो सत्रों में आयोजित वार्षिकोत्सव में अपनी प्रस्तुतियों से मंच को जीवंत कर दिया।
प्रतिभा, प्रस्तुति और प्रगति का उत्सव: वार्षिक कार्यक्रम में छात्रों की चमकदार झलक
कार्यक्रम की शुरुआत विद्यालय की एग्जीक्यूटिव हेड सुजैन होम्स के स्वागत संबोधन से हुई, जिसमें उन्होंने छात्रों की ऊर्जा, लगन और रचनात्मक सोच की खुले दिल से सराहना की। उन्होंने कहा कि ऐसे मंच न केवल छात्रों को अभिव्यक्ति का अवसर देते हैं, बल्कि आत्मविश्वास, सहनशीलता और सामूहिकता जैसे जीवन मूल्यों का भी विकास करते हैं।
मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. भानु बत्रा और डॉ. विधि सरीन ने छात्रों की प्रस्तुतियों को नए युग की सोच और समझ का आईना बताया। कार्यक्रम का आरंभ छात्रों द्वारा प्रस्तुत विद्यालय की वार्षिक रिपोर्ट से हुआ, जिसमें शैक्षणिक, खेल, सांस्कृतिक और सामाजिक क्षेत्रों में वर्ष 2024-25 की उल्लेखनीय उपलब्धियों को साझा किया गया।
मैं, मेरा और मेरी बबल दुनिया’: मंच से गूंजा आत्ममंथन और सीख का संदेश
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इस उत्सव की आत्मा थी एक अनूठी अंग्रेज़ी प्रस्तुति मैं, मेरा और मेरी बबल दुनिया जो बच्चों की आंतरिक उलझनों और बाहरी दुनिया से संघर्ष को अत्यंत प्रभावशाली तरीके से दर्शकों के सामने लाती है। नूडल और डूडल नाम के दो पात्रों के माध्यम से बच्चों की उस दुनिया को मंच पर उकेरा गया, जो खुद के बनाए भ्रमों, गलतियों और समझ की सीमाओं में उलझी रहती है। नूडल, जो अपनी ग़लतियों से आंखें चुराती है, और डूडल, जो अपनी चंचलता में हर जगह टकरा जाता है इन दोनों पात्रों के ज़रिए यह संदेश गूंजा कि जीवन की ग़लतियाँ यदि समझ और सीख में बदल जाएँ, तो वही सफलता की नींव बनती हैं।
नाटक के बीच-बीच में शामिल किए गए नृत्य, गीत और संवादों ने न केवल बच्चों की प्रस्तुति को धार दी, बल्कि पूरे सभागार को भावनाओं से भर दिया। दर्शकों में बैठे अभिभावकों और अतिथियों ने तालियों की गूंज से बच्चों के प्रयासों को सराहा और कहा कि यह प्रस्तुति केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि सोच बदलने वाला अनुभव थी।

समारोह का समापन विद्यालय के डायरेक्टर डॉ. अरुणाभ सिंह के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। उन्होंने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए यह विश्वास जताया कि आने वाला कल इन मासूम मगर सोचने वाले मनों की नई परिभाषा लिखेगा।